एक अक्खड़ ,मनमौजी ,गंभीर,फौलादी जिगर वाला नेता जिसने राजनीति अपने शर्तो पे की


बाबरी ढांचे के विध्वंस के बाद का समय । स्थान - देश की संसद । अटल बिहारी संसद में अकेले सभी 'सिक्युलरों' से लोहा ले रहे थे । उस समय दो युवा नेता सबसे बड़े दबंग और उद्दंड माने जाते थे । ये दो जने थे शरद यादव और राम बिलास पासवान । 


एक दिन संसद में चर्चा के दौरान अटल जी के सामने ये दोनों उद्दंडता करने लगे । तब वरिष्ठ नेता और जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर जी ने कहा - "शरद, राम बिलाश तुम्हारे पिछले जन्म के कुछ पुण्य कर्म है जिसके कारन तुम्हे अटल जी को सुनने का मौका मिला है ,इन्हे ध्यान से सुनो । ये राजनीती के महाग्रंथ है ।"


तब शरद यादव ने अपनी दबंगई दिखाते हुए चंद्रशेखर जी को टोका और कहा "अध्यक्ष जी आप बीच में मत बोलिये ।"


बस फिर क्या था ! 


चंद्रशेखर जी ने भरी संसद में अपना जो रौद्र रूप दिखाया तो इन तथाकथित उस जमाने के इन युवा नेताओं की धूजणी छूटने लगी । चंद्रशेखर जी ने उस समय कड़कती आवाज में कहा था :


"मुझसे ऐसे भाषा में बात करते हो । संसद भवन के बाहर ऐसे भाषा बोलो शरद ।  मैं तुम दोनों को यकीन दिलाता हूँ , तुम्हारे आने वाली पीढ़ियों में भी कोई गुंडा पैदा नहीं हो पायेगा ." यह सुनते ही दोनों को सांप सूंघ गया और वे भयभीत नजर आने लगे । दोनो ने सदन से बाहर निकलते ही चंद्रशेखर के पैर पकड़ लिए और दया की भीख मांगने लगे । 


चंद्रशेखर दबंगों के भी दबंग थे ।


कहते हैं चंद्रशेखर के मौन रहने के दौरान भारत के सबसे बडे बददिमाग वकील राम जेठमलानी ने उनके खिलाफ कोई टिप्पणी कर दी । इसके बाद उनके समर्थको ने जेठमलानी की हाथो और लातो से जमकर पूजा की थी । उसके बाद जब तक चंद्रशेखर जिन्दा रहे इस जेठमलानी ने उनकी तरफ आँख भी नहीं उठायी ।


चन्द्रशेखर जी ने सभी के लिए सामान कानून के लिए कहा था कि "अगर हमारे फौजदारी के मामले और शादी विवाह समान हैं तो यूनिफार्म सिविल कोड क्यों नहीं?"


एक अक्खड़ ,मनमौजी ,गंभीर,फौलादी जिगर वाला नेता जिसने राजनीति अपने शर्तो पे की । किसी की मेहरबानी को कबूल नहीं किया । देश का प्रधान मंत्री बना और कांग्रेस के दुष्चरित्र को भांप कर उस कुर्सी को ठोकर मार दी । ऐसी शख्सियत तो राजाओं की राजा ही कहलायेगी ।


उस बलिया के शेर ,महान तेजस्वी नेता चंद्रशेखर जी की आज 93 वी जन्म जयंती पर कोटि कोटि नमन !!!!!!


ओंकार सिंह


 


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