बाहर से दिखते जो अमीर, पर अंदर से वो भिखमंगे हैं

कवि प्रभाष की खूबसूरत रचना-


हम्माम में सभी तो नंगे हैं ,
 जो कहते खुदा के बंदे हैं |


बाहर से दिखते जो अमीर,
पर अंदर से वो भिखमंगे हैं |


दुनियां को दिखाते जो जमीर, 
मन से वो भी तो लफंगे है |


जो जमाने को करता रौशन, 
खुद की नजरों में वो अंधे हैं |


बन गए बादशाह अब फकीर, 
ये सियासत के सब धंधे हैं |


.........प्रभाष अकिंचन


Popular posts from this blog

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

जेवर एयरपोर्ट बदल देगा यूपी का परिदृश्य

भाजपा का आचरण और प्रकृति दंगाई किस्म की है- अखिलेश यादव