हास्पिटल अपने कोविड रोगियो का ईलाज गम्भीरता के साथ करें - जिलाअधिकारी
लखनऊ। निजी अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों के पॉजिटिव आने पर उन्हें कोविड हास्पिटल में शिफ्टिंग आदि को लेकर विलम्ब सम्बंधित शिकायते आने पर मण्डलायुक्त, जिलाअधिकारी ने 12 निजी अस्पतालों के चिकित्साधिकारियों के साथ आज बैठक की। आज हुई इस बैठक में अपोलो हास्पिटल, अवध हास्पिटल, सहारा हास्पिटल, चंदन हास्पिटल, सुषमा हास्पिटल, चरक हास्पिटल, मल्टी स्पेशियलिटी हास्पिटल, बी0एन0के0 हास्पिटल, जगरानी हास्पिटल, राजधानी हास्पिटल, होप वेल हास्पिटल, फातिमा हास्पिटल, होम क्लीनिक, कामख्या हास्पिटल, जानकी बाई हास्पिटल, के0के0 हास्पिटल, कृष्णा मेडिकल सेंटर, स्कोप हास्पिटल, सहारा विराजखण्ड हास्पिटल, ट्रामा सेंटर हास्पिटल व इंद्रागाँधी आई हास्पिटल के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया।
बताते चलें कि विगत कुछ दिनों से नॉन कोविड हॉस्पिटल्स में किसी भी रोगी के भर्ती होने के पश्चात कोविड-पॉजिटिव होने पर उसे कोविड-19 स्पिटल में भर्ती कराने में काफी विलंब होने की शिकायतें प्राप्त हो रही थी ऐसे में सीरियस पेशेंट की मृत्यु होने की संभावना प्रबल होने की बात सामने आई थी।
जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ऐसे अस्पतालों को चिन्हित कर इन की आज बैठक बुलाई थी।
श्री प्रकाश ने निर्देश दिये कि सभी नान कोविड हास्पिटल को भी अपने यहाॅ एक कोविड एम्बुलेंस रिजर्व रखनी आवश्यक है। अगर अस्पताल ऐसा नहीं करते है तो वो नान कोविड मरीजो का एडमीशन तब तक नहीं लेंगे जब तक एक अपनी सैपरेट कोविड एम्बुलेंस का इन्तेजाम नहीं करते है।
जिलाधिकारी ने बताया कि कुछ ऐसी शिकायतें मिल रही है कि नान कोविड हास्पिटल से कोविड हास्पिटल में रिफरल के बाद एडमीशन कराने का प्रोसेस है। मगर इस प्रोसेस में काफी देर हो जाती है और मरीज तब तक कोविड पाजीटिव हो जाता है और इस कारण अधिकतर मामलों में रोगियों को अपनी जान गवानी पड़ती है। इसलिए इन स्थितियों मे विलम्ब नहीं होना चाहिए, अगर रिफरल हुआ है तो एम्बलेंस वहां के लिए रिजर्व रखनी जरुरी है। रिजर्व एम्बुलेंस से ही रोगियो को नान कोविड से कोविड हास्पिटल में भर्ती कराना जरूरी है।
बैठक में निर्देश दिए गए कि यदि कोई रोगी पॉजिटिव आता है तो उसे तत्काल इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर से संबंध स्थापित करते हुए रिजर्व कोविड-19 एंबुलेंस द्वारा तत्काल कोविड-19 हॉस्पिटल में भर्ती कराया जाएगा। कहीं भी लापरवाही दिखी तो संबंधित अस्पताल के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी अस्पताल का पंजीयन भी निरस्त हो सकता है और जनहानि होने पर एपिडेमिक एक्ट के अंतर्गत प्राथमिकी भी दर्ज की जा सकती है। कोविड-19 से मृत्यु होने पर डेथ ऑडिट अवश्य कराया जाएगा उत्तरदायित्व भी निर्धारित किया जाएगा।