प्रतिकूलताओं को नजरंदाज कर दो
भगवान् शिव के जीवन से एक बात सीखने जैसी है कि जब भी इन्हें आभास होता है अब कार्य का परिणाम प्रतिकूल होने वाला है या परिस्थितियां प्रतिकूल होने वाली हैं। तो भगवान् शिव उदासीन हो जाते हैं अपने आप को वहाँ से हटाकर ध्यानस्थ हो जाते हैं।
शिवजी की समाधि यही कहती है कि मनुष्य जीवन भर परिस्थितियों से जूझता रहता है मगर उनसे कभी भी अपने को अलग नहीं रख पाता। जीवन में कई परिस्थितियां ऐसी भी होती हैं जब उनमें तटस्थ रहना अथवा उदासीन बने रहना ही एक मात्र समाधान होता है।
जीवन में शांति को बरकरार रखने के लिए कभी-कभी मौन धारण कर लो अर्थात प्रतिकूलताओं को नजरंदाज कर दो। समय अपनी चाल से चलता रहता है लेकिन यह बात जरूर याद रखना समय सदा एक जैसा नहीं रहता, बदलता रहता है।