श्रीकृष्ण जैसा व्यक्तित्व और लीलाधारी शायद ही कोई हुआ


भारत की पावन धरा पर यूं तो कई अवतार हुए और बहुत महापुरुषों ने जन्म लिया। मगर श्रीकृष्ण जैसा व्यक्तित्व और लीलाधारी शायद ही कोई हुआ हो। बंधन में पैदा हुए पर बंधनों को स्वीकार नहीं किया, मुक्त जिए। जीवन जैसा था वैसा ही स्वीकार किया, कोई अस्वीकारोक्ति नहीं। जीवन को समग्रता से पूर्ण होकर जीया। उनके जैसा पंडित, ज्ञानी, गायक, संगीतकार, योद्धा, योगी, राजा, मित्र, प्रेमी, पुत्र शायद ही कोई दूसरा हुआ हो। 


भगवान् श्री कृष्ण की नम्रता तो देखिये, कहाँ द्वारिकाधीश के पद पर आसीन और दूसरी तरफ सुदामा ब्राह्मण के चरणों में बैठे हैं। बड़े-बड़े योद्धाओं को हरा देना पर जरूरत पड़ने पर मैदान छोड़ कर भी भाग जाना। 


जैसी भी परिस्थिति हो, मुस्कुराना। श्रीकृष्ण के जीवन से सीखें कि जीवन दुःख और विषाद से महोत्सव तक की यात्रा कैसे करता है। कुरुक्षेत्र में युद्ध के मैदान में उनके द्वारा दिया गया उपदेश आज सम्पूर्ण विश्व का मार्गदर्शन कर रहा है।


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