आयुष का नीर है और तन अंजलि है
जीवन क्षणभंगुर है। पल पल आयु बीत रही है। हर श्वास के साथ आयु कम हो रही है। एक एक पल बहुत अनमोल है।
आयुष का नीर है और तन अंजलि है। हर श्वास पर तन की अंजलि से आयुष का पानी टपक रहा है। जिस वक्त अंजलि में पानी भरते हैं उसी समय से पानी टपकने लगता है और अंजलि खाली होने लगती है।
शरीर रूपी अंजलि में आयुषरूपी पानी भरा हुआ है, लेकिन जैसे ही जन्म हुआ, पहला श्वास लेना शुरू किया तभी से आयुषरूपी पानी टपकना शुरू हुआ। अंजलि खाली हो रही है। अतः अपनी आयु को व्यर्थ मत गंवाओं।