हर चुनौती के लिए तैयार हैं शिक्षक - नागेन्द्र प्रसाद शर्मा
चित्र - नागेन्द्र प्रसाद शर्मा
लखनऊ। कोरोना से देश ही नहीं पूरा विश्व प्रभावित है। विश्व के इतिहास में ऐसा कालखंड कभी देखने को नहीं मिला जैसा कोरोना काल ने दिखाया है। कोरोना ने जैसे जिन्दगी को ही थाम दिया हो ऐसा लगता है। कोरोना की जब शुरुआत हुई थी तो आम आदमी की जिन्दगी बचाने के लिए सरकार को सम्पूर्ण लॉकडाउन जैसे कड़े फैसले लेने पड़े। देश में अनलॉक 4 शुरू हो चूका है फिर भी बहुत से ऐसे व्यापर व शिक्षण संस्थाने हैं जो अभी तक बंद है। अनलॉक 4 में केंद्र सरकार ने कक्षा 9 से 12 तक के लिए विद्यालय खोलने की अनुमति दे दी है। लेकिन राज्य सरकार से अनुमति नहीं मिली है जिसकी वजह से विद्यालय नहीं खोले गए हैं। जुलाई माह से विद्यालयों ने ऑनलाइन शिक्षण की व्यवस्था शुरू की। यह अपने आप में काफी चुनौतीपूर्ण था लेकिन अब सबकुछ आसान सा लगने लगा है।
ऑनलाइन शिक्षा व विद्यालय खोलने आदि पर शिक्षक की क्या राय है इस पर हमारे संवाददाता ने केन्द्रीय विद्यालय अलीगंज शाखा के प्रथमपाली प्राईमरी कक्षा के शिक्षक नागेन्द्र प्रसाद शर्मा से बातचीत की। नागेन्द्र प्रसाद शर्मा ने हमारे संवाददाता से अपनी बाते साझा करते हुए बताया कि 22 मार्च के जनता कर्फ्यू के समय सोचा नहीं था कि माहौल ऐसा होगा। लेकिन जनता कर्फ्यू के बाद सम्पूर्ण लॉकडाउन जारी होते ही लगा कि जैसे जिन्दगी थम सी गयी है,अब बच्चों का क्या होगा उनकी पढाई का क्या होगा। मार्च,अप्रैल,मई बीतता गया लेकिन माहौल में सुधार देखने को मिल नहीं रहा था। उसके बाद जून लास्ट और जुलाई के प्रथम सप्ताह से हमलोगों ने बच्चों को ऑनलाइन पढाना शुरू किया जो काफी चुनौतीपूर्ण था। कितने बच्चों के पास मोबाइल नहीं थे तो कितने नेटवर्क की प्रॉब्लम से परेशान थे। हम शिक्षकों के लिए भी ऑनलाइन पढ़ाना बड़ा चुनौतीपूर्ण था लेकिन फिर भी हमलोगों ने इसे सिखा और अपने साथ - साथ बच्चों को भी सिखाया,अब सब कुछ आसान सा लगता है।
विद्यालय खोलने की बात को लेकर श्री शर्मा ने कहा हम शिक्षक हैं हम किसी भी चुनौती के लिए तैयार हैं। सरकार का अगर आदेश होता है तो बच्चों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए पठन पाठन का कार्य शुरू कराया जायेगा। अभी के माहौल में बच्चे ही नहीं बच्चों के माता पिता भी डरे हुए हैं लेकिन शिक्षा भी जरुरी है और जितने अच्छे के कक्षा में पढाया जाता रहा है या पढाया जायेगा उतने अच्छे के ऑनलाइन पढाई संभव नहीं है। ऑनलाइन शिक्षा को सिर्फ विकल्प के तौर पर देखा जा सकता है और ऐसे माहौल में ऑनलाइन शिक्षा ने काफी मदद किया है। हम लोगों ने अपना नंबर बच्चों के माता पिता को भी दे रखा है साथ ही उन से कह रखा है कि जब भी पढाई से सम्बंधित कोई कठिनाई आवे निःसंकोच संपर्क करें। कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा एक वरदान बनकर आया है लेकिन यह कक्षा में शारीरिक रूप से उपस्थित होकर पढाई की जगह नहीं ले सकता।