मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि को बर्बाद करने में लगें हैं उन्ही के मंत्री व अधिकारी


लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ होंगे यह किसी ने सोचा नहीं था। मुख्यमंत्री  बनने से आज तक जो व्यक्ति जनता को अच्छी और सुव्यवस्थित व्यवस्था देने में दिन - रात लगा हो उस मुख्यमंत्री के राज में कोई दुखी हो ही नहीं सकता। लेकिन अकेला मुख्यमंत्री भी क्या करे जब अपने ही मंत्री और अधिकारी उनकी छवि को पलीता लगाने में लगे हों। 


उत्तर प्रदेश में उन विभागों की स्थिति ठीक है जो विभाग मुख्यमंत्री के पास हैं लेकिन बाँकी विभाग भगवान् भरोसे ही चल रहा है और इसमें कार्यरत कमर्चारी दर - दर की ठोकरें खा रहे हैं। भगवान् भरोसे चलने वाला एक ऐसा ही विभाग है महिला बाल कल्याण विभाग। जिसके तहत 181 महिला हेल्पलाइन का गठन पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2016 में किया था लेकिन इसे विस्तार देने का काम वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। 181 महिला हेल्पलाइन के गठन का उद्देश्य यह था कि प्रदेश में महिलाओं के ऊपर हो रहे अत्याचार से उन्हें बचाया जा सके लेकिन समय का खेल देखिए जिन महिलाओं को महिला सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था आज वही महिलाएं दर-दर की ठोकरें खा रही है। एक महिला जब घर से निकलती है तो वो अकेले नहीं पुरे परिवार की जिम्मेदारी भी अपने साथ लेकर निकलती है और ये महिलाएं उन जिम्मेदारियों के साथ विगत 20 जुलाई से सड़क पर न्याय के लिए भटक रही है लेकिन सुनने वाला कोई नहीं।  


यह महिलाएं विगत 20 जुलाई से अब तक इको गार्डन से लेकर विभाग के मंत्री के घर के दरवाजे पर धरना दे चुकी हैं लेकिन अभी तक विभागीय मंत्री या अधिकारीयों के कानों में जूं तक नहीं रेंगा। बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ का नारा देनी वाली सरकार को इन महिलायें में बेटी नजर नहीं आ रही है ?


ये महिलायें भी किसी की बेटी हैं,किसी की बहन है,किसी की पत्नी है,किसी की माँ है। ये मायें ये बेटियां सरकारी उपेक्षाओं की शिकार हैं और दिन हो या काली रात , भीषण गर्मी हो या बरसात ये महिलाएं मजबूरी में इको गार्डन में धरना देने को विवश हैं।आखिर क्यों ? 


अगर इन महिलाओं की मांग न्यायोचित है तो समाधान में देरी क्यों ? और अगर इन महिलाओं की मांगें न्यायोचित नहीं है तो फिर सम्बंधित विभाग के मंत्री या अधिकारी क्यों नहीं कह रहे कि घर जाओ तुम्हारी मांगे गलत है। 


बताते चलें कि इन महिला कर्मचारियों को 13 महीने से वेतन नहीं मिल रहा था जिसके लिए इन्होने धरना दिया तो कुछ महीनों के वेतन दिए गए , कुछ महीनों के वेतन अभी भी बकाया है साथ ही इन महिलाओं को बिना नोटिस अचानक ही काम से हटा दिया गया। वेतन समय से नहीं मिलने के कारण एक महिला कर्मी को मजबूरी में खुदखुशी करनी पड़ी और उसके परिवार को कोई सहायता नहीं मिली। जिसको लेकर ये महिलाएं आंदोलित हैं और विगत 20 जुलाई से धरना प्रदर्शन कर रही है और विगत 17 अगस्त से लगातार धरना प्रदर्शन कर रही है। आज बारिश में भी वहीँ ईको गार्डेन लखनऊ में यह महिलाएं अपने साथ लाये बैनर ने अपने आपको बारिश से बचाती नजर आयी फिर भी निष्ठुर विभाग को दया नहीं आती। 


(जितेन्द्र झा) 


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