सच्चा विवेक वही जो बुद्धि में सद्विचारों का संग्रह करे
इस संसार रूपी समुद्र में हमारा मानव शरीर एक नाव की तरह है। लेकिन हमने अपने अंदर दुर्विचारों को इतना अधिक भर लिया है कि जिसका वजन हमारे ऊपर है।
इस संसार मे जल भी ज्यादा है और नाव से ज्यादा दुर्विचारों का वजन है तो क्या होगा नाव के अंदर भी जल ही भर जायेगा। इतने दुर्विचारों का वजन हम लेकर चल रहे हैं। सच्चा विवेक वही जो बुद्धि में सद्विचारों का संग्रह करे।
इस बुद्धि को हमें प्रभु के रंग में रंगना है। प्रभुमय बनाना है, वैष्णव बनाना है, भगवदीय बनाना है इसीलिए हरि ही सब है जब हमारी बुद्धि में भगवान ही होंगे तो स्वतः वह भगवदीय बन जायेगी।