सत्संग की तुलना में स्वर्ग व मोक्ष भी तुच्छ है
क्षणिक सत्संग भी निश्चित ही दूसरे को परम भागवत बना देता है। उनके सत्संग से जन्म जन्मांतरों के संचित पाप भी क्षीण हो जाते हैं।
जिस प्रकार एक कमरा वर्षों से बंद पड़ा है, उसमें अंधकार भरा पड़ा है। परन्तु सूर्य की एक किरण जैसे सैकड़ों वर्षों से संरक्षित उस अंधकार को दूर भगा देती है। उसी प्रकार वैष्णव भक्तों का सत्संग कोटि-कोटि वासनाओं का नाश कर देता है। इस सत्संग की तुलना में स्वर्ग व मोक्ष भी तुच्छ है तो अकल्याणकारी संसार की भोग विलास की कामनाएँ तो नगण्य ही हैं।