आजादी के बाद की सबसे बर्बर और क्रूर सरकार साबित हो रही है भाजपा सरकार- प्रमोद तिवारी
पिछले 52 दिनों से दिल्ली की सीमा पर चलने वाले किसान आन्दोलन के प्रति पूर्ण समर्थन व्यक्त करते हुये कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य तथा आउट रीच एण्ड को-आर्डिनेशन कमेटी, उत्तर प्रदेश के प्रभारी प्रमोद तिवारी ने कहा है कि यह आजादी के बाद की सबसे बर्बर और क्रूर सरकार साबित हो रही है।
कृृषि और किसानों के हित में कड़कड़ाती ठण्ड और बारिश में दिल्ली की सीमा पर आन्दोलनरत किसानों की मांगों को बिना पर्याप्त कारण के सरकार ठुकरा रही है। ईस्ट इण्डिया कंपनी की सरकार जिस रास्ते पर चली थी, कि उसकी कम्पनियों ने फायदा देने के नाम पर देश में पदार्पण किया और फिर देश पर आधिपत्य जमा लिया था। ‘‘मोदी सरकार’’ भी अडानी और अम्बानी जैसे पूंजीपतियों को लाभ पहुँचाने के लिये देश की कृषि और किसानों के हित को पूंजीपतियों की तिजोरी में गिरवी रख रही है।
तिवारी ने जानना चाहा है कि यह समझ में नही आता है कि सरकार ने यह स्वीकार तो किया कि कानून बनाने से पहले किसान संगठनों से वार्ता न करके उससे भूल हुई है जिसे वह सुधारना तो चाहती है फिर भी न्यूनतम समर्थन मूल्य; डैच्द्ध जैसे मुद्दे को ‘‘कृृषि कानून’’ का हिस्सा बनाने को तैयार नहीं हो रही है। किसानों के साथ 9 दौर की हुई वार्ता से ऐसा लगता है कि सरकार के मंत्री, सरकार की नहीं बल्कि पूंजीपतियों की नुमाइंदगी कर रहे हैं और पूंजीपतियों के हित को ‘‘बाइबिल, गीता और कुरान’’ मान रहे हैं।
तिवारी ने आग्रह किया है कि सरकार अपनी जिद, हठधर्मिता और तानाशाहीपूर्ण रवैया को छोंड़े तथा देश और किसानों के हित में, जो देश की कुल आबादी का 80% है, उनकी मांगों को स्वीकार करे।कोरोना महामारी के लिये लाये गये टीकों के लिये वैज्ञानिकों को बधाई दी है और इस महाअभियान की सफलता की कामना की है किन्तु इस महाअभियान का राजनीतिकारण करते हुये आदरणीय प्रधानमंत्री द्वारा ‘‘इवेन्ट’’ बनाने पर आश्चर्य व्यक्त किया है और कहा है कि यदि जनता या लोहिया अस्पताल दिल्ली के चिकित्सकों के मन में जो संशय है वह दूर हो जाता यदि इसका स्पष्टीकरण किसी वैज्ञानिक अथवा चिकित्सक द्वारा किया जाता।
तिवारी ने कहा हे कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी के बावजूद आदरणीय प्रधानमंत्री ने जिस तरह अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर बन्द नहीं लगाया और ‘‘नमस्ते ट्रंप’’ का कायक्रर्म कराया तथा उन्होंने रात्रि 08.00 बजे आकर 12.00 रात्रि से 21 दिनों के लिये देश में ‘‘लाॅक-डाउन’’ लगाने की घोषणा की और फिर 20 दिनों एवं 14 दिनों के लिये लाॅकडाउन बढ़ाया, उससे देश के लोगों को भयंकर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, बाहर काम करने वाले मजदूरों को हजारों किलोमीटर पैदल या साइकिल से यात्रा करनी पड़ी, वे भूख-प्यास से तड़पते रहे, लोगों की नौकरियां छूटी और सैकड़ों लोगों को जान गवानी पड़ी।
इसके बावजूद लोगों को व्यक्तिगत रूप से आर्थिक ‘‘पैकेज’’ नहीं दिये गये, इन सबसे प्रधानमंत्री से ‘‘ब्लण्डर भूल’’ तो हो चुकी है। अतः प्रधानमंत्री यदि इस महाअभियान को वैज्ञानिक अथवा चिकित्सक से सम्बोधित कराते तो देश की जनता को अधिक विशवास होता, किन्तु 15 लाख रुपये लोगों के खाते में देना, प्रतिवर्ष 2 करोड़ लोगों को रोजगार देना, नोटबंदी, जी.एस.टी. आदि में जनता पहले ही धोखा खा चुकी है। अतः जनता का विशवास सरकार से पहले ही उठ चुका है।
अमेरिका के राष्ट्रपति वाईडेन, ब्रिट्रेन के प्रधानमंत्री और सोवियत रूस के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन सहित दुनिया के लगभग एक दर्जन नेताओं ने सार्वजनिक रूप से चैनल के सामने आकर वैक्सीन लगवाई है, जिससे उन देशो में वैक्सीन की विश्वसनीयता जनता में बनी रही, किन्तु हमारे देश के नेतागण वैक्सीन की प्रशंसा तो कर रहे हैं किन्तु सार्वजनिक रूप से वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं। तिवारी ने देश के आमजनों से इस महाअभियान को सफल बनाने की अपील की है और देश के वैज्ञानिकों और चिकित्सकों तथा कोरोना योद्धाओं को बधाई दी है।
(प्रमोद तिवारी)