भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का संसद के संयुक्त अधिवेशन में अभिभाषण
संसद के संयुक्त अधिवेशन को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संबोधित करते हुए कहा कि-
माननीय सदस्यगण,
1. कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में हो रहा संसद का यह संयुक्त सत्र बहुत महत्वपूर्ण है। नया वर्ष भी है, नया दशक भी है और इसी साल हम आजादी के 75वें वर्ष में भी प्रवेश करने वाले हैं। आज संसद के आप सभी सदस्य, हर भारतवासी के इस संदेश और इस विश्वास के साथ यहां उपस्थित हैं कि चुनौती कितनी ही बड़ी क्यों न हो, न हम रुकेंगे और न भारत रुकेगा।
2. भारत जब-जब एकजुट हुआ है, तब-तब उसने असंभव से लगने वाले लक्ष्यों को प्राप्त किया है। ऐसी ही एकजुटता और पूज्य बापू की प्रेरणा ने, हमें सैकड़ों वर्षों की गुलामी से आजादी दिलाई थी। इसी भावना को अभिव्यक्त करते हुए, राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत कवि, असम केसरी, अंबिकागिरि राय चौधरी ने कहा था:- ओम तत्सत् भारत महत, एक चेतोनात, एक ध्यानोत,एक साधोनात, एक आवेगोत, एक होइ ज़ा, एक होइ ज़ा। अर्थात, भारत की महानता परम सत्य है। एक ही चेतना में, एक ही ध्यान में, एक ही साधना में, एक ही आवेग में, एक हो जाओ, एक हो जाओ।
3. आज हम भारतीयों की यही एकजुटता, यही साधना, देश को अनेक आपदाओं से बाहर निकालकर लाई है। एक तरफ कोरोना जैसी वैश्विक महामारी, दूसरी तरफ अनेक राज्यों में बाढ़, कभी अनेक राज्यों में भूकंप तो कभी बड़े-बड़े सायक्लोन, टिड्डी दल के हमले से लेकर बर्ड फ्लू तक, देशवासियों ने हर आपदा का डटकर सामना किया। इसी काल में सीमा पर भी अप्रत्याशित तनाव बढ़ा। इतनी आपदाओं से, इतने मोर्चों पर, देश एक साथ लड़ा और हर कसौटी पर खरा उतरा। इस दौरान हम सब, देशवासियों के अप्रतिम साहस, संयम, अनुशासन और सेवाभाव के भी साक्षी बने हैं।
4. महामारी के खिलाफ इस लड़ाई में हमने अनेक देशवासियों को असमय खोया भी है। हम सभी के प्रिय और मेरे पूर्ववर्ती राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन भी कोरोना काल में हुआ। संसद के 6 सदस्य भी कोरोना की वजह से असमय हमें छोड़कर चले गए। मैं सभी के प्रति अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
5. हमारे शास्त्रों में कहा गया है- “कृतम् मे दक्षिणे हस्ते, जयो मे सव्य आहितः” अर्थात, हमारे एक हाथ में कर्तव्य होता है तो दूसरे हाथ में सफलता होती है। कोरोना महामारी के इस समय में, जब दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति, हर देश इससे प्रभावित हुआ, आज भारत एक नए सामर्थ्य के साथ दुनिया के सामने उभर कर आया है। मुझे संतोष है कि मेरी सरकार के समय पर लिए गए सटीक फैसलों से लाखों देशवासियों का जीवन बचा है। आज देश में कोरोना के नए मरीजों की संख्या भी तेज़ी से घट रही है और जो संक्रमण से ठीक हो चुके हैं उनकी संख्या भी बहुत अधिक है।
6. जब हम बीते एक वर्ष को याद करते हैं तो हमें स्मरण होता है कि कैसे एक ओर नागरिकों के जीवन की रक्षा की चुनौती थी, तो दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था की चिंता भी करनी थी। अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए रिकॉर्ड आर्थिक पैकेज की घोषणा के साथ ही मेरी सरकार ने इस बात का भी ध्यान रखा कि किसी गरीब को भूखा न रहना पड़े।
7. ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ के माध्यम से 8 महीनों तक 80 करोड़ लोगों को 5 किलो प्रतिमाह अतिरिक्त अनाज निशुल्क सुनिश्चित किया गया। सरकार ने प्रवासी श्रमिकों, कामगारों और अपने घर से दूर रहने वाले लोगों की भी चिंता की। वन नेशन-वन राशन कार्ड की सुविधा देने के साथ ही सरकार ने उन्हें निशुल्क अनाज मुहैया कराया और उनके लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलवाईं।
8. महामारी के कारण शहरों से वापस आए प्रवासियों को उनके ही गांवों में काम देने के लिए मेरी सरकार ने छह राज्यों में गरीब कल्याण रोजगार अभियान भी चलाया। इस अभियान की वजह से 50 करोड़ Man-days के बराबर रोजगार पैदा हुआ। सरकार ने रेहड़ी-पटरी वालों और ठेला लगाने वाले भाइयों-बहनों के लिए विशेष स्वनिधि योजना भी शुरू की। इसके साथ ही करीब 31 हजार करोड़ रुपए गरीब महिलाओं के जनधन खातों में सीधे ट्रांसफर भी किए। इस दौरान देशभर में उज्ज्वला योजना की लाभार्थी गरीब महिलाओं को 14 करोड़ से अधिक मुफ्त गैस सिलेंडर भी मिले।
9. अपने सभी निर्णयों में मेरी सरकार ने संघीय ढांचे की सामूहिक शक्ति का अद्वितीय उदाहरण भी प्रस्तुत किया है। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच इस समन्वय ने लोकतंत्र को मजबूत बनाया है और संविधान की प्रतिष्ठा को सशक्त किया है।
10. वीरता, अध्यात्म और प्रतिभाओं की भूमि पश्चिम बंगाल के सपूत, गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिरीन्द्रनाथ टैगोर ने देशप्रेम से भरे एक ओजस्वी गीत की रचना की थी। उन्होंने लिखा था:
चॉल रे चॉल शॉबे, भारोत शन्तान,
मातृभूमी कॉरे आह्वान,
बीर-ओ दॉरपे, पौरुष गॉरबे,
शाध रे शाध शॉबे, देशेर कल्यान।
अर्थात मातृभूमि आह्वान कर रही है कि हे भारत की संतानो, सभी मिल-जुलकर चलते रहो। वीरता के स्वाभिमान तथा पौरुष के गर्व के साथ तुम सभी देश के कल्याण की निरंतर कामना करते रहो।
आइए, हम सब मिलकर आगे बढ़ें, सभी देशवासी मिलकर आगे बढ़ें। अपना कर्तव्य निभाएं और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें, आइए, भारत को आत्मनिर्भर बनाएं।
आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
जय हिंद !