केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज
कोलकाता की नेशनल लाइब्रेरी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती
के उपलक्ष में आयोजित ‘शौर्यांजलि’ कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर अमित शाह ने देश के स्वाधीनता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने
वाले बंगाल के महान स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
उन्होंने बंगाल के क्रान्तिकारियों के अदम्य साहस और शौर्य को दर्शाने वाली
एक प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया। कार्यक्रम के दौरान स्वतंत्रता संग्राम
की महत्वपूर्ण घटनाओं पर आधारित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया
गया।
केंद्रीय गृह मंत्री ने एक साइकिल रैली को भी झंडी दिखाकर रवाना
किया। रैली में नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रासबिहारी बोस और खुदीराम बोस नाम
से तीन टीमें शामिल हैं जो स्वतंत्रता आंदोलन में बंगाल के क्रांतिकारियों
द्वारा दिए गए महान बलिदान के प्रति पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में
जागरूकता पैदा करेंगी। कार्यक्रम में संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री
(स्वतंत्र प्रभार) प्रह्लाद सिंह पटेल और पर्यावरण, वन तथा जलवायु
परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो समेत अनेक गणमान्य लोग भी शामिल
हुए। अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा
कि सुभाष बाबू के प्रति देश की जनता का आज भी उतना ही प्यार और सम्मान है
जितना उनके जीवनकाल में था। शाह ने कहा कि सुभाष बाबू के कार्य, उनकी
देशभक्ति और उनका सर्वोच्च बलिदान पीढ़ियों तक भारतवासियों के जेहन में
रहेगा। शाह ने यह भी कहा कि सुभाष बाबू को भुलाने के बहुत प्रयास किए
गए किंतु मोदी सरकार की यह कोशिश है कि आने वाली कई पीढ़ियां नेताजी के
बलिदान को याद रखें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत
सरकार ने एक कमेटी बनाई है जो यह सुनिश्चित करेगी कि सुभाष बाबू का जीवन और
उनके संस्कारों को न केवल भारत में रहने वाले भारतीय बल्कि दुनिया भर में
जहां भी भारतीय बसे हैं चिरकाल तक याद करें और उनसे प्रेरणा लेकर भारत को
महान बनाने में अपना योगदान देते रहें। अमित शाह ने देश की युवा पीढ़ी से आहवान
किया कि एक बार सुभाष बाबू के जीवन को अवश्य पढ़ें, उससे बहुत कुछ सीखने
को मिलेगा। शाह ने युवाओं से यह भी कहा कि जिन्होंने देश के लिए
बलिदान दिया उनका स्मरण कर अपने जीवन को देश के लिए लगाना चाहिए। केंद्रीय
गृह मंत्री ने कहा कि जिस समय आईसीएस में ज्वाइन होने के लिए देश के युवा
लालायित होते थे, उस समय सुभाष बाबू ने अंग्रेजों की नौकरी से त्यागपत्र
देकर देश की सेवा करने का मन बनाया। उनका देश भक्ति और देश की स्वतंत्रता
के रास्ते पर जाने का विचार हुआ।अमित शाह ने कहा कि सुभाष बाबू की
लोकप्रियता, उनका अदम्य उत्साह देश को आजादी दिलाने के लिए था और एक ऐसी
सत्ता जिसके बारे में कहा जाता था कि उसका कभी सूर्य अस्त नहीं होता,
उसके खिलाफ लड़ाई लड़ी।
अमित शाह ने इस अवसर पर साइकिल यात्रा को भी
हरी झंडी दिखाई जिसमें तीन टुकड़िया हैं। एक टुकड़ी का नाम है नेताजी सुभाष
चंद्र बोस टुकड़ी जो 270 किलोमीटर का सफर तय करेगी और नामी-गुमनामी के
शहीदों के गांव में जाकर उनकी यादों को एक बार फिर ताजा करने का प्रयास
करेगी। दूसरी टुकड़ी रासबिहारी बोस की टुकड़ी है तथा तीसरी टुकड़ी खुदीराम
बोस के नाम से है। अमित शाह ने साइकिल यात्रा के सभी साइकिल सवारों को
बधाई देते हुए कहा कि जो युवा आज साइकिल लेकर निकलेंगे वह पूरे बंगाल के
अंदर लगभग 900 किलोमीटर की यात्रा कर बंगाल के युवाओं को प्रेरित करने का
काम करेंगे। इससे उनका पुरुषार्थ लंबे समय तक बंगाल के साथ-साथ पूरे भारत
को नई ऊर्जा देगा।
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शाह ने यह भी कहा कि जिस देश की युवा पीढ़ी अपने
आजादी के भाव को नहीं समझती, गर्व को आत्मसात नहीं करती वह देश के भविष्य
निर्माण में सहयोग नहीं कर सकती इसलिए देश के लिए बलिदान देने वालों के
बारे में जानना और उनका सम्मान बहुत जरूरी है। शाह ने कहा कि आज
इतिहास को नए नजरिए से समझने की जरूरत है। अमित शाह ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस की 125
वीं जयंती के अवसर पर आयोजित होने वाली इस श्रृंखला में पूरे देश के युवाओं
को जोड़ने की आवश्यकता है। शाह ने कहा कि आजादी के 75 वें वर्ष का
आयोजन और सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं वर्षगांठ मनाने का आयोजन एक सुखद
संयोग है। युवाओं को सभी कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी करनी चाहिए जिससे
आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा मिलेगी।