केन्द्रीय बजट ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के लिए प्रधानमंत्री के विजन को दर्शाता है- केन्द्रीय मंत्री
केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (स्वतंत्र प्रभार),
प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और
अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि केन्द्रीय बजट
2021-22 वास्तव में ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के लिए प्रधानमंत्री के
विजन को दर्शाता है। मीडिया के साथ बातचीत करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह
ने कहा कि दूरदर्शी बजट के छह स्तम्भों में से एक स्तम्भ के रूप में यह
‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के मुख्य सिद्धांतों में से एक सुधार
सिद्धांत की योजना की रूपरेखा दर्शाता है। इसी भावना में न्याय को तेजी से
उपलब्ध कराने के लिए पिछले कुछ वर्षों में ट्रिब्यूनलों में सुधार लाने
के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं।
यह बजट ट्रिब्यूनलों के कामकाज को तर्कसंगत
बनाने के लिए और उपाय करने का प्रस्ताव करता है। उन्होंने यह भी कहा कि
यह बजट सरकार या सीपीई के साथ व्यापार करने वालों के लिए व्यापार को आसान
बनाने और एक सुलह तंत्र स्थापित करने तथा अनुबंधों संबंधी विवादों का
तेजी से समाधान करने के लिए इस तंत्र का उपयोग करने का प्रस्ताव भी करता
है, ताकि निजी निवेशकों और ठेकेदारों में आत्मविश्वास पैदा किया जा सके। कुछ श्रेणियों में सरकारी नौकरियों
में चयन के लिए साक्षात्कार को समाप्त कर दिया गया था। इसके अलावा, नए
आईएएस अधिकारियों के लिए अपने संबंधित राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश कैडर
में जाने से पहले केन्द्र सरकार में तीन महीने के कार्यकाल की शुरुआत की
गई थी। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 में संशोधन किया गया जिसमें
रिश्वत देने वाले को भी अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है।
पुरुष
कर्मचारियों के लिए चाइल्ड केयर लीव, महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व
अवकाश में बढ़ोतरी, तलाकशुदा बेटियों के लिए परिवार पेंशन, पेंशनधारकों के
लिए डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र की शुरुआत, सीपीजीआरएएमएस संचालित पोर्टल,
प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कारों का पुनर्मूल्यांकन तथा लाल बहादुर
शास्त्री राष्ट्रीय अकादमी, मसूरी के पाठ्यक्रम में बदलाव जैसे निर्णय
लिए गए। एक निर्णय ‘मिशन
कर्मयोगी’ से संबंधित है जिसमें डिजिटल मोड के द्वारा प्रत्येक अधिकारी
की लगातार क्षमता निर्माण की परिकल्पना की गई है ताकि उसे हर नए कार्य के
लिए तैयार किया जा सके और उसी दौरान अधिकारियों को भी सही काम के लिए सही
अधिकारी का वैज्ञानिक रूप से चयन करने में सक्षम बनाता है। दूसरा निर्णय
कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) आयोजित करने के लिए एक राष्ट्रीय भर्ती
एजेंसी (एनआरए) के गठन से संबंधित है, ताकि नौकरी के इच्छुक युवाओं को
उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के बारे में ध्यान दिए बिना समान अवसर
उपलब्ध कराए जा सकें।