पूर्व केन्द्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा की पुण्यतिथि पर अखिलेश यादव ने श्रद्धासुमन अर्पित किए
बाराबंकी। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज पूर्व केन्द्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा की पुण्यतिथि पर बाराबंकी में उनकी समाधिस्थल पर जाकर श्रद्धासुमन अर्पित किए। बाराबंकी के पल्हरी स्थित मोहन लाल वर्मा, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में यादव ने स्मृतिशेष बेनी प्रसाद वर्मा की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर बेनी प्रसाद वर्मा का परिवार सहित राकेश वर्मा एवं ऋषि वर्मा भी उपस्थित रहे।
अखिलेश यादव ने पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित विशाल जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि बेनी प्रसाद वर्मा का उत्तर प्रदेश में बड़ा कद रहा है। उनके साथ समाजवादियों की कई सरकारें बनी है। भाजपा राज में रोजी-रोटी का अकाल है। किसान, गरीब, महिलाएं सब अपमानित हो रही है। इस जनविरोधी भाजपा सरकार को सन् 2022 में सत्ता से बेदखल करने का संकल्प लेकर ही हम बेनी प्रसाद वर्मा ‘बाबू जी‘ को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकेंगे। यादव ने उनके संस्मरण याद करते हुए कहा कि 2019 में बाराबंकी के उपचुनाव में शारीरिक अस्वस्थताओं के बाद भी उन्होंने समाजवादी पार्टी को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आजादी के बाद भी जिन्हें सम्मान नहीं मिला ऐसे वंचित, अल्पसंख्यक वर्गों के लिए संघर्ष कर अधिकार दिलाने में बेनी बाबू का विशेष योगदान रहा है।
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा लोकतंत्र का गला घोंट रही है। संविधान द्वारा मिले अधिकारों पर हमला हो रहा है। भारत में एक ईस्ट इण्डिया कम्पनी आयी थी जो कारोबार कर रही थी। वह कब सरकार बन गयी किसी को पता ही नहीं चला। ब्रितानिया हुकूमत ने एक कानून पास किया और कम्पनी सरकार का काम करने लगी। लोकतंत्र में यदि सरकार कम्पनी बन जाये तो आम जनता के अधिकारों का क्या होगा? यादव ने कहा प्राइवेट हाथों से संचालन होने पर आरक्षण और संविधान प्रदत्त अधिकार समाप्त हो जायेंगे। भाजपा सरकार ने तीन कृषि कानून बनाकर जमीन के मालिकाना हक को उद्योगपतियों के हाथों गिरवी रख दिया है। तीनों कानून जमीन पर आ जाने से किसानों को उनका मुनाफा नहीं मिल पायेगा। पूरा लाभ बड़ी कम्पनियों का हो जायेगा।
समाजवादी पार्टी अन्नदाता के हितों के खिलाफ लाये गये तीन कृषि कानूनों को वापस कराने के पक्ष में है और किसानों के साथ इस कानून का विरोध कर रही है। यादव ने कहा कि भाजपा की दोषपूर्ण नीतियों से किसानों-नौजवानों का भविष्य संकटग्रस्त है। किसान हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। किसानों ने ही देश को महामारी से बचाया है। अन्नदाता ने मेहनत न की होती तो देशवासियों को भूखों रहना पड़ता। भाजपा की राय किसानों के प्रति सम्मानजनक नहीं है। भाजपा के नेता किसानों को बाहरी और आतंकवादी कह रहे है। भाजपा सरकार किसानों को अपमानित कर रही है।अखिलेश यादव ने कहा कि बाराबंकी डॉ0 लोहिया के साथी उनके विचार को आगे बढ़ाने वाले राम सेवक यादव की धरती है। बाराबंकी की जीत सरकार बनाती है। खुशहाली का रास्ता समाजवादी आंदोलन ही दिखा सकता है।
अखिलेश यादव ने कहा कि पांच लाख करोड़ के करार हो गए लेकिन चार साल बीतने के बाद भी कोई काम नहीं दिख रहा है। उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के कार्यकाल में कितने उद्योग लगे और कितनी नौकरियां मिली यह सच्चाई सबको पता है। 22 महीने में बना आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे समाजवादियों का कार्य करने का तरीके के उदाहरण है। सत्ताधारी लोग लाल टोपी देख कर घबरा जाते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि समाजवादी सरकार बनाने जा रहे है। भाजपा सरकार ने नोटबंदी के नाम पर जनता को दुःख दिया। नोटबंदी से भ्रष्टाचार समाप्त करने और कालाधन वापस लाने की बात कहने वाले लोग कहाँ है? जनता को गुमराह करने वालों की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा ने वैश्विक महामारी का सहारा लेकर जनता का नाक मुंह बंद करा दिया। लोगों का कारोबार छिन गया, आम जनता का जीवन यापन करना मुश्किल हो गया। पुलिस और सरकारी कर्मचारियों का वेतन काट लिया गया। पूरी अर्थव्यवस्था संकट में आ गयी है। यादव ने कहा कि सरकार एक बार फिर वैश्विक महामारी का सहारा लेना चाहती है। चुनाव नहीं था तो महामारी नहीं थी। सत्ता के बलबूते जनता का अधिकार छीनना चाहती है। भाजपा सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि बढ़ी मंहगाई से मिल रहे मुनाफा कहाँ जा रहा है? उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने वाली सरकार से किसानों का क्या फायदा हो रहा है? भाजपा को यह बताना चाहिए कि किसानों के अधिकार छिनने लगेंगे तो लोग खेती कहाँ करेंगे?