सबके मूल में सुख की ही कामना है
संसार में प्रत्येक प्राणी सुख की ही तलाश में है वह चाहे पद, धन, प्रतिष्ठा या कुछ और भी हो सबके मूल में सुख की ही कामना है। दो तरह के लोग ही वास्तव में सुख का अनुभव कर सकते हैं पहला जो
विरक्त है यहाँ विरक्तता का अर्थ सब कुछ छोड़कर जंगल में चले जाना नहीं है।
विरक्तता का अर्थ है किसी से किसी भी प्रकार की अपेक्षा ना रखना। हमें कोई नहीं रुलाता, हमारी चाह हमें रुलाती है हमें कोई परेशान
नहीं करता हम अपनी आसक्ति और इच्छा के कारण परेशान रहते हैं जिस दिन
आसक्ति का त्याग कर दिया, फिर कोई हमें दुःखी नहीं कर सकताआशा छोड़ कर देखो
तो एक बार जिसके कारण आप बार-बार दुःखी हो रहे हो