सरकार की लज्जाहीन कार्यप्रणाली के चलते पूरे प्रदेश में आक्सीजन और रेमडेसिविर की हो रही है कालाबाजारी- लल्लू
वेंटीलेटर और जरूरी चिकित्सा के अभाव में असमय लोगों की जान जा रही हैं। इसके बाद भी उ0प्र0 सरकार मौत के मातम, चीखते-बिलखते परिवारीजन, चिताओं से उठते धुएं के बावजूद संक्रमण की विभीषिका और हो रही मौतों को रोकने के लिए पूरी तरह गंभीर नहीं दिखाई दे रही है। उ0प्र0 में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है, सरकार और सरकारी तन्त्र पूरी तरह बेपटरी हो चुका है। उन्होने कहा कि आज प्रदेश में हालात इस कदर खराब हैं कि स्टेट हेल्थ इमरजेंसी घोषित किये जाने की जरूरत है। अकर्मण्य सरकार कोर्ट के हस्तक्षेप एवं कांग्रेस पार्टी की मांग व चेतावनी के बाद ही हिलती डुलती नजर आती है। प्रदेश के मुखिया चुनाव प्रचार के बाद टीम-11 के साथ हेड लाइन मैनेजमेंट करते हुए नजर आते हैं।
प्रदेश कांग्रेस
अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना महामारी में सर्वाधिक मामलों में उ0प्र0 के पांच
शहरों में राजधानी लखनऊ सहित गोरखपुर, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज आदि जनपद
शामिल है। जहां लखनऊ प्रदेश की राजधानी है वहीं गोरखपुर खुद मुख्यमंत्री
का गृह जनपद है और वाराणसी प्रधानमंत्री जी का संसदीय क्षेत्र है। इन तीनों
जनपदों में कोरोना महामारी की विकरालता और भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया
जा सकता है कि रोजाना सैंकड़ों मौंतें हो रही हैं, पिछले दस दिनों में 15
हजार के लगभग मौतें दिल दहलाने वाला है। सब कुछ देखने के बाद भी सरकार अभी
भी आंकड़ों को छिपाने और झूठी बयानबाजी पर अमादा है।
लल्लू ने कहा कि सरकार की लज्जाहीन कार्यप्रणाली के चलते पूरे प्रदेश में आक्सीजन और रेमडेसिविर सहित अन्य जरूरी दवाओं की व्यापक कालाबाजारी हो रही है इस पर सरकार रोक लगाने में पूरी तरह विफल साबित हो चुकी है। सरकार की नाक के नीचे कालाबाजारी और भ्रष्टाचार सरकारी संरक्षण के बिना संभव नहीं है? उन्होने कहा कि राजधानी में अभी 96 नये निजी अस्पतालों को मुख्यमंत्री ने कोविड सेन्टर में परिवर्तित करने के आदेश दिये किन्तु वहां मरीजों के लिए आक्सीजन की उपलब्धता न होने के कारण यह अस्पताल कार्य नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में संक्रमित मरीजों का उपचार कैसे और कौन करेगा यह बहुत बड़ा सवाल है?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उ0प्र0 में कोरोना
संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 2.5 लाख से अधिक पहुंच गया है। यह आंकड़ा स्तब्ध
कर देने वाला है। सबसे दुःखद तो यह है कि अब केारोना संक्रमण धीरे-धीरे
जनपद और गांवों की तरफ पहुंच गया है जिससे आक्सीजन की मारामारी जनपदीय
चिकित्सालयों में भी शुरू हो चुकी है। जिसको रोकने के लिए योगी सरकार के
पास हवाहवाई घोषणाओं के अतिरिक्त कोई गंभीर कार्ययोजना नहीं है। प्रवासी
श्रमिकों के लिए न तो क्वारंटीन सेन्टर की व्यवस्था की गयी है, न उनकी जांच
हो रही है, जिससे संक्रमण की रफ्तार अब गांवों की ओर बढ़ रहा है। जबकि जिला
अस्पतालों में जांच के बुनियादी संसाधनों का ही पूरी तरह अभाव है।
लल्लू ने कहा कि जहां तक कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज
का सवाल है, गंभीर हालात में अस्पतालों के चक्कर काटकर इलाज के अभाव में
मौत के मुंह में समां रहे मरीजों को इलाज देने के लिए कांग्रेस की मांग के
बाद सी.एम.ओ. की रेफरल पर्ची की अनिवार्यता को योगी सरकार ने खत्म कर दिया
किन्तु व्यक्तिगत आक्सीजन सिलेण्डर मरीजों को न देने का योगी सरकार का
तुगलकी फरमान कोरोना के गंभीर मरीजों की जान से खिलवाड़ है। ऐसे मरीज जिनको
अस्पतालों में बेड नहीं मिला वे होम आइसोलेशन में अपनी जान बंचाने के लिए
आक्सीजन सिलेण्डर के सहारे मौत के खिलाफ जूझ रहे थे ऐसे में आक्सीजन
सिलेण्डर न दिये जाने के आदेश ने उनके जीवन पर गहरा संकट खड़ा कर दिया है
इससे मौतों की संख्या लगातार बढ़ी है।
इसको रोकने के लिए होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को आक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने का तन्त्र तत्काल विकसित करने की जरूरत है।