'ब्लैक फंगस’ से संबंधित दवाओं पर सरकारी नियंत्रण और खुले बाजार में अनुपलब्धता से फ़ैल रही दहशत - विजय पाण्डेय



 लखनऊ : कोरोना महामारी से मौत के आंकड़े थमे नहीं थे कि ‘ब्लैक फंगस’ से होने वाली घातक बीमारी “म्यूकोर्मोसिस” ने अपने पाँव पसारने शुरू कर दिए और लोग मौत का शिकार होने लगे, अभी तक लोग आक्सीजन, अस्पताल, दवा और एम्बुलेंस के अभाव और कालाबाजारी के शिकार हुए तो अब सरकार ने दवाओं पर नियंत्रण की नीति अपनाकर लोगों के बचने की संभावना को समाप्त करने पर आमादा है, ऐसा आरोप हाई कोर्ट के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने लगाया। विजय पाण्डेय ने आगे कहा कि संक्रमित लोगों और उनकी मौत की खबरे देश के लगभग सभी भागों से आ रहीं है जिससे लोगों में दहसत का माहौल पैदा हो गया है, क्योंकि इसके इलाज से संबंधित दवाईयां प्रदेश सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया है, लोगों को अपनी जान बचाने के लिए खुले बाजार से इन दवाओं को प्राप्त नहीं किया जा सकता, इससे तो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि देश और प्रदेश की मेडिकल व्यवस्था में मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाने में सरकार फेल हो चुकी हैं।  

विजय पाण्डेय ने यह भी कहा कि आखिर महामारी के खिलाफ इस महायुद्ध में क्यों नहीं दवाओं के आडिट का एक तंत्र विकसित किया जाता है जो पारदर्शी तरीके से लोगों को उपलब्ध हो, निजी और सरकारी अस्पतालों को भी इस बात की जानकारी रहे कि उनके निकतम किस फार्मेसी पर दवाईयां उपलब्ध हैं, और उपलब्धता को आनलाईन रखा जाए, विजय पाण्डेय ने कहा कि नियंत्रण के बजाय उत्पादन को बढ़ाकर, कालाबाजरी रोंकने के लिए आनलाईन उपलब्धता को मानीटर करने की नीति क्यों नहीं अपनाई जा रही है, क्योंकि यह सर्वविदित है कि सरकार के पास मैनपावर बहुत ही सीमित है, कागजी घोषणाओं से जिम्मेदारी सौंपने की नीति से लोगों की जान बचा पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा, जबकि लाखों लोग जान गंवा चुके हैं, गंगा की गोंद भी लाशों के भार को ढ़ोने में सक्षम नहीं है, और वहां पहरे बैठाकर विकल्प खोजना बहुत बड़ी नादानी होगी, क्योंकि कोरोना संक्रमित लोगों में यदि इस बीमारी का प्रकोप बढ़ता है तो लाखों लोग एक साथ इस बीमारी से प्रभावित होंगे और “म्यूकोर्मोसिस ब्लास्ट” हो जाएगा, जिसे सरकार द्वारा नियंत्रित व्यवस्था में रोंक पाना बेहद मुश्किल होगा। 

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