पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को अखिलेश यादव ने श्रद्धांजलि अर्पित की
लखनऊ। समाजवादी पार्टी मुख्यालय सहित प्रदेश के प्रत्येक जनपद में आज पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर सभी ने चौधरी साहब के बताए विचारों के रास्ते पर चलने का संकल्प लिया। लखनऊ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर पूर्व कैबिनेट मंत्री सर्वश्री राजेंद्र चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष समाजवादी पार्टी नरेश उत्तम पटेल, सदस्य विधान परिषद अरविन्द कुमार सिंह एवं डा0 कुलदीप सक्सेना पूर्व अध्यक्ष आई0एम0ए0 कानपुर ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किए। अखिलेश यादव ने कहा है कि चौधरी साहब की कृषि नीतियों से देश के अन्नदाता के जीवन का खुशहाल का रास्ता खुलता है। वे अर्थनीति के बड़े जानकार थे। उनका सम्पूर्ण राजनैतिक जीवन सादगी, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा का उदाहरण है। भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए उनका जोर गांव-खेती और किसानों के उत्थान पर था।
यादव ने कहा कि चौधरी चरण सिंह आजीवन शोषित और समाज के वंचित लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कार्य करते रहे। उन्होने भूमि सुधार की दिशा में कई महत्वपूर्ण कानून बनाये। सार्वजनिक जीवन में व्यक्तिगत सम्पत्ति के आग्रह से वे जीवन भर दूर रहे। राजनीति में वे प्रकाश पुंज की तरह है। उनके बताए रास्ते पर चलकर ही समाज में समृद्धि और समरसता कायम की जा सकती है। अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने चौधरी साहब के सपनों को तोड़ने का काम किया है। खेत-किसान गांव कभी उसकी प्राथमिकता में नहीं रहे। किसानों की जमीनों का जबरन अधिग्रहण कर उनको मजदूर बनाये जाने की साजिश की जा रही है। किसानों को फसल का लाभकारी दाम नहीं मिल रहा है। एमएसपी की अनिवार्यता से भाजपा मुंह चुरा रही है।
उसको और ज्यादा प्रताड़ित करने के लिए तीन काले कृषि कानून भी थोप दिए गए हैं। यादव ने कहा कि चौधरी साहब ने सामंती व्यवस्था पर चोट की थी जबकि भाजपा खेती को उद्योग घरानों की बंधक बनाने पर तुल गई है। किसान इसको लेकर पिछले छह महीनों से आंदोलित हैं। सैकड़ों किसानों की धरना-प्रदर्शन में मौत हो गई। किसानों के दर्द के प्रति भाजपा सरकार पूरी तरह असंवेदनशील है। उनकी समस्याओं के समाधान के लिए यह अहंकारी भाजपा सरकार वार्ता करने तक को तैयार नहीं है इसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पडे़गा।