हमारा बुरा समय, हमारे ही द्वारा किए गए बुरे कर्मों का फल है
महाराज जी भक्तों को समझा रहे हैं कि जब कुछ न चाहोगे तो वे सब कुछ देंगें। हममें से अधिकतर लोग मुसीबत के समय या वैसे भी, ईश्वर से कुछ ना कुछ मांगते ही रहते हैं फिर जल्दी से इच्छा पूरी ना होने पर कुछ लोग ईश्वर से नाराज़गी दिखाते हैं। कुछ तो ऐसे भी हैं जो संघर्ष के समय में अपने मंदिर जाने का, प्रसाद इत्यादि चढ़ाने का तकाज़ा भी करते हैं उस परम आत्मा से जैसे की मैंने तेरे लिए क्या नहीं किया और तूने मुझे इस मुसीबत में डाल दिया।
जब हम ईश्वर से कुछ मांगते हैं तो संभवतः अपने भूत और वर्तमान को ध्यान में रखकर, बुद्धि का पूरा उपयोग करते हैं ….. लेकिन क्या हमें ये पता है कि ईश्वर ने भविष्य में हमारे लिए क्या परोस के रखा है ????? ….नहीं ना। क्या पता जो हम मांग रहे हों वो कल हमारे लिए अच्छा ही ना सिद्ध हो। या ऐसा हो कि वो परम आत्मा तो किसी दिन हमें पूरा समंदर देना चाहता हो और हम हाथ में चम्मच लेकर खड़े हों …क्योंकि अपनी बुद्धि के हिसाब से हमने केवल एक बून्द की ही अभिलाषा की हो ….वो परम आत्मा तो हमारा भूत, वर्तमान और भविष्य सब जानता है - इसलिए की ये सब उसी की योजना से हो रहा है, हमारी वर्तमान स्थिति भी!!
ऐसा भी देखा गया है की जब कभी हम अपने आत्म लाभ के लिए ईश्वर से कुछ मांगते हैं, बहुत प्रार्थना करते हैं तो वो आगे-पीछे हमें दे भी देते हैं। परन्तु संभव है की इस आगे -पीछे में या ये कहें जिन परिस्थितियों में भगवान हमारी इच्छा पूरी करते हैं वो परिथतियाँ हमारे लिए कभी -कभी अनुकूल ना हों, हमारे हित में ना हों। ऐसी ही कुछ कारणों के वजह से संभवतः महाराज जी हमें यहाँ पर समझा रहे हैं कि ईश्वर से मांगने की आवश्यकता नहीं है जो भी हम आत्माओं के सर्वाधिक हित में होगा वो परम आत्मा हमें स्वयं ही देंगे। हम महाराज जी के भक्त ये तो भली भांति जानते हैं की हमारा बुरा समय, हमारे ही द्वारा किए गए बुरे कर्मों का फल है।
हमें इस बात को भी ध्यान में भी रखना है कि हमारा अच्छा समय भी, हमारे द्वारा पूर्व में किये गए अच्छे कर्मों का फल है हाँ ये है हमारे कर्म- फल की रूप-रेखा, परिस्थितियां ये सब भगवान की योजना के अंतर्गत है महाराज जी ने हमें समझाया है कि जो हमारा है (कर्मों का फल) वो सही समय पर हमें अवश्य मिलेगा। ये वो समय होता जिसमें ईश्वर की योजना के अनुसार हमारा हित होता हैं। वो परम आत्मा जब हमारे बुरे कर्मों का फल हमें देता है तो इस तरीके से देता है की जो भी हमारे साथ हो रहा है, जैसे भी हो रहा है, जब तक होगा, जितनी बार होगा वो कुछ समय के लिए हमें पीड़ा दे सकता है पर अंततः इसमें भी हमारा हित ही निहित है अच्छे समय की तरह ये समय भी ईश्वर की योजना से हो रहा है।
उसके ही द्वारा निर्धारित समय पर ये समय भी बीत जाएगा बस हमें ईश्वर पर विश्वास रखना है और धैर्य रखना है ईश्वर बहुत दयालु है किसी का बुरा नहीं चाहता बस वो हमारे लिए कर्म नहीं कर सकता, महाराज जी भी नहीं कर सकते क्योंकि हमारे हिस्से के कर्म तो हमें ही करना है हाँ जिन भक्तों को महाराज जी सच्ची आस्था है, वे इस बात के लिए आश्वस्वत हो सकते हैं जो भी उनकी जीवन में हो रहा है या होगा उसमें महाराज जी की मर्ज़ी भी शामिल है इससे हमारे धैर्य और सहनशक्ति को बल मिलेगा। यदि उस सर्वशक्तिशाली, सर्वव्यापी और सर्वज्ञ ईश्वर से कुछ मांगना ही है तो क्यों ना हम ये मांगें कि हे प्रभो सबका भला हो (सब में हम भी तो आ ही जाते हैं) ईश्वर की संभवतः सर्वोत्तम प्रार्थना तो हज़ारों वर्ष पूर्व हमारे ऋषि-मुनियों ने दिव्य ग्रथों के माध्यम से हमें सिखाई है-
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
हे प्रभो हमें भय मुक्त करो क्योंकि हमारी अधिकतर समस्याएं को ऐसी बातों को लेकर होती हैं जिनके होने का प्रायः कोई आधार ही नहीं होता है। हे प्रभो हमें अपनी भक्ति का दान दोऔर ऐसा आशीर्वाद दो की हम महाराज जी के उपदेशों पर, उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चल पाने की इच्छाशक्ति और धैर्य अपने अंदर पैदा कर सकें क्योंकि केवल और केवल ये ही मार्ग हमें ईश्वर के समीप ले जा सकता है। महाराज जी के आशीर्वाद से और उस परम आत्मा की मर्ज़ी जो भी हमें मिला है हमें उसी में संतुष्टि करनी है और उनका कृतज्ञ होना है क्योंकि यही हमारे लिए सबसे अच्छा है।
महाराज जी सबका भला करें।