खाकी वर्दी में डाक्टर

बिजनौर कई बार आदमी करने निकलता है कुछ और लेकिन नियति उससे कराने लगती है कुछ और। बिजनौर में तैनात उप पुलिस अधीक्षक डा. गणेश कुमार गुप्ता के साथ कुछ एसा ही हुआ।गोरखपुर जिले के रहने गणेश कुमार गुप्ता पढने में काफी तेज थे।जवाहर नवोदय विद्दालय से इंटर पास करने के बाद उन्हें लखनऊ में किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस में दाखिला मिला।

2010 में उन्होंने अपनी एमबीबीएस की पढाई पूरी की।उनके पिता ओमप्रकाश गुप्ता और मां शकुन्तला देवी उन्हें डा बनाना चाहते थे।उन्होंने देवरिया में सरकारी डा. के रुप में भी काम किया लेकिन 2016 में उतर प्रदेश पुलिस सेवा की परीक्षा पास की और डा. का काम छोड़कर उन्होंने पुलिस सेवा ज्वाइन कर लिया। बिजनौर में इस समय वे पुलिस में सर्किल अफसर के रुप में तैनात है। संयोग से जब कोविड-19 महामारी ने अपनी विनाशलीला शुरु की उस समय अन्य लोगों के साथ फ्रंट लाइन वारियर होने के कारण पुलिस के लोग भी इसकी चपेट में आना शुरु किये।पुलिस के लोगों को करोना की चपेट में आता देखकर गणेश कुमार गुप्ता के भीतर का चिकित्सक जागृत हुआ और उन्होंने सर्किल अफसर होने के बावजूद एक जिम्मेदार डाक्टर की भूमिका निभानी शुरु की

गणेश ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति को प्राप्त करके विभाग की मदद से पूर जिले में आइसोलेशन सेंटर बनाना शुरु किया । गणेश ने एक रणनीति बनायी जिसके तहत इन्होंने जिले में तैनात सभी पुलिस वालों का टेस्ट कराया। हांलहि में पंचायत चुनाव के बाद बिजनौर में 182 पुलिसकर्मी जांच में पाजिटिव पाये गये।गणेश कुमार बताते हैं कि कोविड संक्रमण के साथ सबसे खास बात यह है कि अगर शुरु में ही इसकी जांच करा ली जाये और दवा शुरु कर दी जाये तो यह बीमारी आगे नहीं बढने पाती।शुरु में की गयी देरी कई बार मरीजों पर भारी पड़ती है। गणेश कुमार ने बताया कि जांच में पाजिटिव पाये गये पुलिसकर्मियों को उन्होंने या तो उनके घरों में क्वारन्टीन कर दिया अथवा पुलिस द्वारा बनाये गये क्वारन्टीन सेंटरों में रखा गया।


बिजनौर मे पुलिस विभाग ने एक ब़ड़ा कोविड सेंटर तैयार किया है। कोविड की लहर में जहां ज्यादातर निजी क्षेत्र के चिकित्सकों ने अपनी क्लीनिक बंद कर दी थी, वहीं गणेश कुमार ने पुलिसकर्मियों की दिन रात सेवा की और उनका इलाज किया। गणेश कुमार बताते हैं कि उनका शुरुआती दौर में किया गया इलाज काफी कारगर साबित हुआ तथा बिजनौर मे पुलिस वालों के बीच किसी किस्म की कोई दुर्घटना नहीं हुई। उन्हें आक्सीजन की भी आवश्यकता नहीं पडी। गणेश कुमार गुप्ता पुलिसजनों के साथ ही उनके परिवार के लोगों की भी दवा करते हैं।टेलीफोन पर वे हमेशा इलाज के लिये तत्पर रहते है।उनकी बढती ख्याति को देखकर पुलिस के अलावा अन्य विभागों तथा सामान्य लोग भी टेलीफोन पर उनसे मश्विरा करने लगे। विषम परिस्थितियों में गणेश कुमार ने पुलिस की वर्दी के उपर पीपीई किट पहना।

हमने कुछ पुलिस वालों से भी बातचीत की सभी ने इनके कामकाज की प्रशंसा की। पुलिस लाइन में तैनात कंचन शर्मा बताती हैं कि करोना पाजिटिव आने के बाद वह अपने घर पर ही आईसोलेट रही और उन्होंने गणेश कुमार का ईलाज किया ।कुछ ही दिनों में वे ठीक हो गई.पुलिस लाइन में ही तैनात सिपाही रोहित कुमार ने भी एसे ही कहानी बतायी ।रोहित कुमार ने बताया कि पाजिटिव आने के बाद उसे पुलिस लाइन मे आईसोलेट कर दिया गया और डा. गणेश कुमार ने उसका इलाज शुरु किया।उनका कहना है कि उन्हें जल्द ही इस जानलेवा संक्रमण से निजात मिली। गणेश कुमार ने पीआईबी के साथ विशेष बातचीत में कहा कि उन्हें इस बात का काफी संतोष है कि उन्होंने बुरे वक्त में पुलिस विभाग में अपने पद का काम करते हुए पुलिसकर्मियों तथा अन्य लोगों की डाक्टर की हैसियत से मदद की उन्होंने कड़ी पढाई के बाद जो चिकित्सा की डिग्री हासिल की थी उसका पुलिस विभाग में भी रहते हुए इस्तेमाल करने का उन्हें मौका मिला।

Popular posts from this blog

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

जेवर एयरपोर्ट बदल देगा यूपी का परिदृश्य

भाजपा का आचरण और प्रकृति दंगाई किस्म की है- अखिलेश यादव