सत्र 2020–21 की वार्षिक एवं सेमेस्टर परीक्षाओं के संबंध में नए दिशा-निर्देश किए गए जारी
लखनऊ। उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण वैश्विक स्तर पर जन जीवन व्यापक रूप से प्रभावित हुआ है, जिसके दृष्टिगत मा० मुख्यमंत्री द्वारा उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण फैल रही महामारी को आपदा घोषित किया गया है।
कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत छात्रहित में उच्च शिक्षण संस्थानों में सत्र के दौरान ऑनलाइन पठन-पाठन की निरन्तर व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु उ0प्र0 उच्च शिक्षा डिजिटल लाइब्रेरी के माध्यम से गुणवत्तायुक्त ऑनलाइन 76,000 से भी अधिक ई-कन्टेन्ट छात्रों को उपलब्ध कराए गए। इस डिजिटल लाइब्रेरी की समृद्धता, विशेषता एवं नएपन के दृष्टिगत नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इण्डिया ने उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा डिजिटल लाइब्रेरी के साथ आई0आई0टी0, खड़गपुर के माध्यम से एम0ओ0यू0 हस्ताक्षरित किया है। इस प्रकार कोरोना काल में प्रदेश में छात्रों को उत्तम पाठ्य सामग्री उपलब्ध करायी गयी जिसका 05 लाख से भी अधिक छात्रों ने घर बैठे ही लाभ उठाया। उप मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग के अधीन स्थापित विश्वविद्यालयों में कोविड-19 के कारण शैक्षणिक कैलेण्डर के अनुसार शिक्षण कार्य कराये जाने तथा छात्रों के ज्ञान के मूल्यांकन हेतु सम सेमेस्टर परीक्षायें एवं वार्षिक परीक्षायें सम्पन्न नहीं करायी जा सकी हैं।
कतिपय विश्वविद्यालयों में पठन-पाठन व परीक्षा पूर्णरूप से सेमेस्टर पद्धति पर आधारित है जबकि कतिपय विश्वविद्यालयों में यह पूर्णरूप से वार्षिक पद्धति पर आधारित है। कुछ विश्वविद्यालयों में दोनों ही पद्धतियां प्रचलन में हैं अर्थात् कुछ पाठयक्रम सेमेस्टर प्रणाली एवं कुछ पाठ्यक्रम वार्षिक प्रणाली के अन्तर्गत संचालित किये जा रहे हैं। वार्षिक पद्धति के अन्तर्गत संचालित पाठ्यक्रमों में कतिपय विश्वविद्यालयों में आंतरिक मूल्यांकन की व्यवस्था नहीं है एवं उक्त पाठ्यक्रमों में छात्रों के मूल्यांकन का आधार वार्षिक परीक्षा है। उल्लेखनीय है कि शैक्षणिक सत्र 2019-20 में भी कोविड-19 के कारण विश्वविद्यालयों में पठन-पाठन एवं परीक्षा से सम्बन्धित कार्य गंभीरता से प्रभावित होने के कारण प्रथम वर्ष के छात्रों को द्वितीय वर्ष में इस आधार पर प्रोन्नत कर दिया गया था कि सत्र 2020-21 में ऐसे छात्रों की द्वितीय वर्ष की परीक्षा सम्पन्न होने के पश्चात द्वितीय वर्ष के परीक्षा परिणाम के आधार पर उनका प्रथम वर्ष का परिणाम घोषित किया जायेगा। उप मुख्यमंत्री डा0 दिनेश शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के विश्वविद्यालयों के लगभग 41 लाख छात्र-छात्राओं की वार्षिक एवं सेमेस्टर परीक्षाओं को सम्पन्न कराये जाने में कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न व्यवधान के दृष्टिगत शिक्षा की गुणात्मकता को सुनिश्चित किये जाने के दृष्टिगत छात्र-छात्राओं को प्रोन्नत किये जाने अथवा उनके वार्षिक परिणामों को घोषित किये जाने के सम्बन्ध में मा० राज्यपाल/कुलाधिपति तथा मा० मुख्यमंत्री जी से विचार विमर्श के बाद दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
उप मुख्यमंत्री ने सेमेस्टर पद्धति के अन्तर्गत संचालित स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के संदर्भ में जारी दिशा-निर्देश के संबंध में बताया कि जहां स्नातक प्रथम/तृतीय (विषम) तथा स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर की परीक्षायें हो चुकीं है वहां स्नातक द्वितीय/चतुर्थ (सम) सेमेस्टर तथा स्नातकोत्तर द्वितीय सेमेस्टर के अंक प्रथम/तृतीय सेमेस्टर के अंको के आधार पर अंतर्वेशन से तथा मिड-टर्म/अन्तरिम मूल्यांकन के आधार पर निर्धारित किए जा सकते हैं। जहां विषम एवं सम सेमेस्टर की परीक्षाएं सम्पन्न नहीं हुई हैं वहां, मिड टर्म/अन्तरिक मूल्यांकन के आधार पर विषम एवं सम सेमेस्टर के परिणाम तथा अंक अंतर्वेशन से निर्धारित किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अंतिम सेमेस्टर की परीक्षायें सम्पन्न करायी जायेंगी। यदि स्नातक पंचम सेमेस्टर तथा स्नातकोत्तर तृतीय सेमेस्टर की परीक्षाएं सम्पन्न नही हुई हों, तो अन्तिम सेमेस्टर में प्राप्त अंको के अंतर्वेशन से पूर्व सेमेस्टर के अंक निर्धारित किए जा सकते है।
उप मुख्यमंत्री ने वार्षिक परीक्षा पद्धति के अन्तर्गत संचालित पाठ्यक्रमों के संदर्भ में जारी दिशा-निर्देश के संबंध में बताया कि ऐसे विश्वविद्यालय जहां स्नातक पाठ्यक्रमों के प्रथम वर्ष की परीक्षाएं सम्पन्न नहीं हुई हैं, उनके छात्रों को द्वितीय वर्ष में प्रोन्नत कर दिया जायेगा तथा वर्ष 2022 में होने वाली उनकी द्वितीय वर्ष की परीक्षा के अंकों के आधार पर अंतर्वेशन से उनके प्रथम वर्ष का परिणाम तथा अंक निर्धारित किए जा सकते हैं। स्नातक द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिये उन्होंने बताया कि ऐसे विश्वविद्यालय जहां वर्ष 2020 में प्रथम वर्ष की परीक्षायें हुई थीं, वहां प्रथम वर्ष के अंको के आधार पर द्वितीय वर्ष के परिणाम तथा अंक निर्धारित किये जा सकते हैं और तदनुसार छात्रों को तृतीय वर्ष में प्रोन्नत किया जायेगा। ऐसे विश्वविद्यालय जहां वर्ष 2020 में प्रथम वर्ष की परीक्षायें नहीं हुई थी, उनके द्वारा द्वितीय वर्ष की परीक्षायें करायी जायेंगी और परीक्षा परिणाम के अनुसार तृतीय वर्ष में प्रवेश दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि स्नातक तृतीय/अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को सम्पन्न कराया जायेगा।
डॉ दिनेश शर्मा ने बताया कि स्नातकोत्तर पूर्वार्द्ध के छात्रों को
उत्तरार्द्ध में प्रोन्नत किया जायेगा। जब वर्ष 2022 में उत्तरार्द्ध की
परीक्षायें होंगी, तो उनमें प्राप्त अंकों के आधार पर उन्हें अंतर्वेशन से
पूर्वार्द्ध वर्ष हेतु अंक प्रदान किये जा सकते हैं जबकि स्नातकोत्तर
उत्तरार्द्ध की परीक्षायें करायी जायेंगी। स्नातक/स्नातकोत्तर के अन्तिम
सेमेस्टर एवं अन्तिम वर्ष तथा उपरोक्तानुसार यथावश्यक स्नातक द्वितीय वर्ष
की परीक्षाओं के आयोजन के संबंध में जारी दिशा निर्देश के संबध में
उन्होंने बताया कि समस्त परीक्षाएं यथासंभव अगस्त, 2021 मध्य तक सम्पन्न
करा ली जायें। स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए सम्बन्धित विश्वविद्यालय
द्वारा परीक्षाओं की तिथियों का निर्धारण किया जायेगा। प्रायोगिक परीक्षाएं
आयोजित नहीं की जायेंगी और उनके अंको का निर्धारण लिखित परीक्षा के आधार
पर किया जा सकता हैं। मौखिक परीक्षा आवश्कतानुसार आनलाइन सम्पन्न करायी
जायेंगी। परीक्षा प्रणाली का सरलीकरण विश्वविद्यालय स्तर से किया जायेगा।
परीक्षा एवं प्रश्न पत्र का स्वरूप क्या होगा, इसका निर्णय लेने के लिए सम्बन्धित विश्वविद्यालय के कुलपति/कार्य परिषद को अधिकृत किया जाता है। परीक्षा प्रणाली का सरलीकरण इस प्रकार किया जा सकता है कि एक विषय के सभी प्रश्नपत्रों को सम्मिलित करते हुए एक ही प्रश्नपत्र बनाने पर विचार किया जा सकता है। बहुविकल्पीय एवं ओ0एम0आर0 आधारित अथवा विस्तृत उत्तरीय प्रश्न पत्र विश्वविद्यालयों की अपनी तैयारी के अनुरूप विचारणीय होंगे। यदि किसी विश्वविद्यालय द्वारा किसी पाठ्यक्रम विशेष की परीक्षा ऑनलाइन के माध्यम से कराई जानी सम्भव हो तो सक्षम प्राधिकारी द्वारा विचारणीय होंगी। परीक्षा समयावधि 03 घण्टे के स्थान पर एक-डेढ़ घण्टे की होगी। प्रश्न पत्रों के हल करने की समयावधि आधी हो जाने के कारण उदाहरणतः परीक्षार्थियों को किसी प्रश्न पत्र में यदि 10 प्रश्नों के उत्तर दिए जाने थे, उसके स्थान पर 05 प्रश्नों के उत्तर दिए जाएं। इसी प्रकार लगभग 50 प्रतिशत के अनुपात में छात्र/छात्राओं द्वारा समस्त विषयों के प्रश्न पत्रों में हल किए जाने वाले प्रश्नों की संख्या निर्धारित की जा सकती हैं।
परीक्षा के दौरान कोविड-19 से बचाव के समस्त प्रोटोकॉल एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाना सुनिश्चित करें। इस हेतु केन्द्रों की संख्या बढ़ायी जायेगी। एक कमरे में छात्रों के बैठने की व्यवस्था इस प्रकार से की जाए कि सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन हो। कमरे में हवा की पर्याप्त व्यवस्था हो तथा खिड़कियों रोशनदान खोलकर परीक्षा सम्पन्न करायी जाय। परीक्षा के पहले एवं बाद में सैनिटाइजेशन की व्यवस्था, अनिवार्य फेस मास्क एवं थर्मल स्कैनिंग की समुचित व्यवस्था सुनिष्चित करायी जाय। कोरोना संक्रमण के कारण यदि कोई छात्र परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो पाता है, तो उस दषा में छात्र को उस कोर्स/प्रश्नपत्र के विशेष परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए अवसर दिया जा सकता है जो विश्वविद्यालय की सुविधानुसार आयोजित किया जा सकेगा जिससे छात्रों को किसी प्रकार की असुविधा/क्षति न हों। उपर्युक्त प्राविधान चालू शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए केवल एक बार लागू होगा। उप मुख्यमंत्री ने बताया कि 31 अगस्त, 2021 तक परीक्षाफल घोशित किया जायेगा। शैक्षणिक सत्र 2021-22 दिनांक 13 सितम्बर, 2021 से प्रारम्भ किया जायेगा।
ऐसे छात्र जो उपरोक्त व्यवस्था से परीक्षा के घोषित परिणाम से संतुष्ट नहीं होंगे, वे 2022 में आयोजित होने वाले बैक पेपर परीक्षा अथवा 2022-23 में आयोजित होने वाली वार्शिक/सेमेस्टर परीक्षा के उन समस्त/किसी भी विषय में सम्मिलित होकर अपने अंको में सुधार करने के अवसर प्राप्त कर सकेंगे। महाविद्यालय/विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों, स्टाफ एवं छात्रों के वैक्सीनेशन का कार्य प्राथमिकता पर लिया जय। उपरोक्त दिशा-निर्देश विश्वविद्यालय में संचालित कला, विज्ञान, वाणिज्य, विधि एवं कृषि विषयों के स्नातक/परास्नातक पाठ्यक्रमों के संदर्भ में है। अभियंत्रण एवं प्रबन्धन के स्नातक/परास्नातक पाठ्यक्रमों के संदर्भ में प्राविधिक षिक्षा विभाग, उ0प्र0 द्वारा जारी निर्देश लागू होंगे। कोविड-19 वैष्विक महामारी को दृष्टिगत रखते हुए विश्वविद्यालय का सत्र नियमिति रहें एवं छात्रों का भविष्य सुरक्षित हों, इस परिप्रेक्ष्य में विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता को ध्यान में रखते हुए उ0प्र उच्च शिक्षा परिषद के माध्यम से सभी विश्वविद्यालयों से यह अपेक्षा की गयी है कि विश्वविद्यालय उक्त मार्गदर्शी निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अपनी परी नियमावलियों एवं अपने छात्रों की आवश्यकता अनुरूप अपनी विद्या परिषद/कार्य परिषद/सक्षम प्राधिकारी के स्तर से सम्यक विचार कर निर्णय लेकर परीक्षा के कार्यक्रम के साथ अपनी कार्य योजना शासन को दिनांक 18 जून, 2021 तक प्रेषित करेंगे।