शंकर जी अपने आश्रित को सिर्फ पुजारी बनाकर ही नहीं रखते अपितु पूज्य भी बना देते हैं



भगवान शिव स्वयं तो पूज्य हैं ही मगर उन्होंने हर उसको पूज्य बना दिया जो उनकी शरण में आ गया। शिव आश्रय ले लेने पर वक्र चन्द्र अर्थात वो चन्द्रमा जिसमें अनेक विकृतियां, अनेक दोष हैं पर वो भी वन्दनीय बन गए। 

सर्प जिसे मनुष्यों का जन्मजात शत्रु माना जाता है। वही सर्प जब भगवान शिव की शरण लेकर उनके गले का हार बन जाता है तो फिर पूज्यनीय भी बन जाता है। शिवजी के साथ-साथ नाग के रूप में सर्प को भी सारा जगत पूजता है। 

शंकर जी अपने आश्रित को सिर्फ पुजारी बनाकर ही नहीं रखते अपितु पूज्य भी बना देते हैं। अतः हमें भी अपने द्वारा यथा संभव दूसरों की सहायता करनी चाहिए एवं दूसरों को सम्मान भी देना चाहिए। जीवन इसी प्रकार का हो आपके मिलकर कोई लौटे तो खिला हुआ, प्रसन्न होकर और आनंदित होकर लौटे।

Popular posts from this blog

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

जेवर एयरपोर्ट बदल देगा यूपी का परिदृश्य

भाजपा का आचरण और प्रकृति दंगाई किस्म की है- अखिलेश यादव