2022 विधान सभा में भी श्रीराम की लहर लगाएगी बेड़ापार
अयोध्या। 2022 के अयोध्या विधानसभा चुनाव में जिस तरह से सभी राजनीतिक दलों का रुझान अयोध्या की तरफ बढ़ा है इससे साफ तौर ओर यह कहा जा सकता है कि राममंदिर मुद्दा चुनाव में एक बड़ा फैक्टर होगा, जो विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाएगा, इसके अलावा किसानों का मुद्दा भी इस चुनाव में असर डाल सकता है।
अगर बात भाजपा की जाय तो वह अयोध्या के विकास को लेकर अपनी रणनीति तैयार करेगी तो वहीं कांग्रेस चुनाव को लेकर जनता की नब्ज टटोल रहीं है, वहीं समाजवादी पार्टी महंगाई, बेरोजगाई, किसान सहित विभिन्न मुद्दों को भुनाने में जुटी है इसके अलावा बसपा अपना ध्यान ब्राह्मण वोटों को सहेजने के जुटी है। इस बार आम आदमी पार्टी सहित कुछ ऐसे छोटे दल हैं, जो चुनावी समीकरण को बदलने में अहम भूमिका निभाएंगे।अगर बार केवल 275 अयोध्या विधानसभा की जाये तो बीते 30 से 40 वर्षों में अधिकतर भाजपा के प्रत्याशी जीतते आये है, इसके अलावा समाजवादी पार्टी से 2012 के विधानसभा चुनाव में तेज नारायण पांडेय विधायक बने थे, लेकिन इसके बाद फिर इस विधानसभा पर भाजपा का कब्जा हुआ, कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इस सीट से भाजपा को हराना की किसी भी दल के लिये आसान नहीं होगा।
2022 के विधानसभा चुनाव में जिस तरह से बसपा ने ब्राह्मण कार्ड खेला है उससे राजनीतिक दल अपने चुनावी रणनीति में बदलाव कर सकते हैं, हालांकि पिछले कई चुनावों में बसपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। बात अगर सपा की जाय तो अयोध्या विधानसभा से ब्राह्मण चेहरा पहले से मौजूद है, वहीं भाजपा की नजर सामान्य के साथ ओबीसी पर दांव लगा सकती है। फिलहाल अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी कि अयोध्या विधानसभा चुनाव में जातीय समीकरण के अनुसार कौन से दल किसे अपना उम्मीदवार बनायेगी।अयोध्या विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 16 हजार, 722 है, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 71 हजार 217 है तो वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 45 हजार 496 है।
वर्तमान में भाजपा, सपा, कांग्रेस व बसपा के अलावा जिस तरह से आम आदमी पार्टी, जनसत्ता लोकतांत्रिक पार्टी ने यूपी के चुनाव में प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है, इससे यह अंदेशा लगाया जा सकता है कि आम आदमी पार्टी व जनसत्ता लोकतांत्रिक दल, AIMIM पार्टी व अपना दल भी प्रत्याशी उतार सकती है, इसके अलावा निर्दल उम्मीदवार भी चुनाव में ताल ठोकेंगे। और बात अगर अयोध्या विधानसभा की जाए तो यहां पर ओबीसी फैक्टर किसी भी दल को जिताने में अहम साबित होते है, इसके अलावा ब्राह्मण वोट भी अहम भूमिका निभाते है। इसके अलावा मुस्लिम, एससी/एसटी भी प्रभावित करते हैं।