जो बोया है उसे तो काटना ही पड़ेगा


महाराज जी भक्तों को समझा रहे हैं कि जब कुछ न चाहोगे तो वे सब कुछ देंगें! हममें से अधिकतर लोग मुसीबत के समय वैसा भी, ईश्वर से कुछ ना कुछ मांगते ही रहते हैं, फिर ऐसा ना होने पर कुछ लोग तो ईश्वर से नाराज़गी भी दिखाते हैं। कुछ तो ऐसे भी हैं जो संघर्ष के समय में अपने मंदिर जाने का, प्रसाद चढाने का, जल चढाने का, दूध इत्यादि चढ़ाने का तकाज़ा करते हैं उस परम आत्मा से मैंने तेरे लिए क्या नहीं किया और तूने मुझे इस मुसीबत में डाल दिया। वो उस परम आत्मा को जिसने इस संसार को बनाया है, जो इस संसार को चलाता भी है, जिसने इस संसार के समस्त जीव, जंतुओं को बनाया है, हम सब को बनाया है उसको भी सिखाने का प्रयत्न करते हैं

जब हम ईश्वर से कुछ मांगते हैं तो संभवतः बुद्धि का पूरा उपयोग करके और अपनी वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से ….. लेकिन क्या हमें ये पता है कि ईश्वर ने हमारे भविष्य में हमारे लिए क्या परोस के रखा है .......नहीं। क्या पता जो हम मांग रहे हों वो कल हमारे ही लिए अच्छा न हो। या ऐसा हो कि वो परम आत्मा तो किसी दिन हमें पूरा समंदर देना चाहता हो और हम हाथ में चम्मच लेकर खड़े हों क्योंकि अपनी बुद्धि के हिसाब से हमने केवल एक बून्द की ही अभिलाषा की हो। इसलिए महाराज जी हमें समझा रहे हैं कि मांगने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि वो परम आत्मा तो हमारा भूत, वर्तमान और भविष्य सब जानता है उसकी मर्ज़ी से ही (महाराज जी की भी), हम अपने वर्तमान स्थिति में हैं। वो परम आत्मा जब हमारे कर्मों का फल हमें देता है तो इस तरीके से देता है की जो भी हमारे साथ हो रहा है, जैसे भी हो रहा है, जब तक होगा, जितनी बार होगा - वो सब अंततः हमारे हित में ही है

जैसे हमारे महाराज जी हमें समझाया है की यदि हमारे भाव उसके लिए सच्चे हैं तो हमें अपने आप को याद दिलाते रहना है कि हम उसके संरक्षण में हैं वो बहुत दयालु है। किसी का बुरा नहीं चाहता। बस वो हमारे लिए कर्म नहीं कर सकता, महाराज जी भी नहीं कर सकते क्योंकि हमारे हिस्से के कर्म तो हमें ही करना है। हम महाराज जी के भक्त हैं हमें महाराज जी ने सिखाया है कि हमारे जीवन का एक -एक घटना क्रम, हमारे ही पूर्व कर्मों का फल है जो हमने अपने जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में किया होगा उसके लिए किसी दूसरे को दोष देना व्यर्थ है। जो बोया है उसे तो काटना ही पड़ेगा लेकिन आगे ऐसा ना हो उसका ध्यान रखना है। इसके लिए उस परम आत्मा की सच्ची भाव से भक्ति करनी है, दिखावे वाले नहीं महाराज के लिए अपने भाव सुदृढ़ करना है, जैसे हम कल बात कर रहे थे

यदि कुछ मांगना ही है तो उस सर्वशक्तिशाली, सर्वव्यापी और सर्वज्ञ ईश्वर से भक्तिदान मांगना चाहिए और ऐसा आशीर्वाद की हम अपने गुरु के बताए मार्ग पर चल सकें क्योंकि केवल और केवल ये ही मार्ग हमें ईश्वर के समीप ले जा सकता है। महाराज जी के आशीर्वाद से और उस परम आत्मा की मर्ज़ी जो भी हमें मिला है हमें उसी में संतुष्टि करनी है और उनका कृतज्ञ होना है क्योंकि यही हमारे लिए सबसे अच्छा है

महाराज जी सबका भला करें!

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