ईश्वर के नियमों का उल्लंघन करने से डरें



जब आप अपने धर्मपूर्ण लक्ष्य को पाने के लिये कुछ भी करने को तैयार होते हैं तो पूरी कायनात आपके लक्ष्य को प्राप्त करने में आपकी मदद करती है। लेकिन आपके लक्ष्य में डर का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

अगर आपको स्वंय पर पूरा विश्वास नहीं है या फिर असफलता का डर है तो आपका सपना या लक्ष्य शक्तिहीन है जहाँ डर होता है वहां विश्वास कमजोर पड़ जाता है और जब आपको स्वयं पर ही विश्वास नहीं रहता तो पूरी कायनात आपकी लक्ष्य प्राप्ति के लिये मदद कैसे करेगी?

इसलिए केवल और केवल ईश्वर से डरें अर्थात ईश्वर के नियमों का उल्लंघन करने से डरें ,अन्य  किसी से नहीं ऐसा होने से आत्मविश्वास कभी कमज़ोर नहीं होगा।

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