जानिए पितृपक्ष में श्राद्ध की प्रमुख तिथियां
जानिए श्राद्ध की प्रमुख तिथियां
======================
भाद्रपद
शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से सोलह दिवसीय श्राद्ध प्रारंभ होते हैं, लिहाजा
२० सितंबर से श्राद्ध की शुरुआत हो जाएगी और आश्विन महीने की अमावस्या को
यानि ०६ अक्टूबर, दिन बुधवार को समाप्त होंगे। श्राद्ध को महालय या
पितृपक्ष के नाम से भी जाना जाता है। आचायों के मुताबिक, श्राद्ध शब्द
श्रद्धा से बना है, जिसका मतलब है पितरों के प्रति श्रद्धा भाव। हमारे
भीतर प्रवाहित रक्त में हमारे पितरों के अंश हैं, जिसके कारण हम उनके ऋणी
होते हैं और यही ऋण उतारने के लिए श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। आप दूसरे
तरीके से भी इस बात को समझ सकते हैं।
पिता के जिस शुक्राणु के साथ जीव माता
के गर्भ में जाता है, उसमें ८४ अंश होते हैं, जिनमें से २८ अंश तो
शुक्रधारी पुरुष के खुद के भोजनादि से उपार्जित होते हैं और ५६ अंश पूर्व
पुरुषों के रहते हैं। उनमें से भी २१ उसके पिता के, १५ अंश पितामह के, १०
अंश प्रपितामाह के, ०६ अंश चतुर्थ पुरुष के, ०३ पंचम पुरुष के और एक षष्ठ
पुरुष के होते हैं। इस तरह सात पीढ़ियों तक वंश के सभी पूर्वज़ों के रक्त
की एकता रहती है, लिहाजा श्राद्ध या पिंडदान मुख्यतः तीन पीढ़ियों तक के
पितरों को दिया जाता है। पितृपक्ष में किये गए कार्यों से पूर्वजों की
आत्मा को तो शांति प्राप्त होती ही है, साथ ही कर्ता को भी पितृ ऋण से
मुक्ति मिलती है।
श्राद्ध
के दौरान जो हम दान पूर्वजों को देते है वो श्राद्ध कहलाता है। शास्त्रों
के अनुसार जिनका देहांत हो चुका है और वे सभी इन दिनों में अपने सूक्ष्म
रूप के साथ धरती पर आते हैं और अपने परिजनों का तर्पण स्वीकार करते हैं। श्राद्ध
के बारे में हरवंश पुराण में बताया गया है कि भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर
को बताया था कि श्राद्ध करने वाला व्यक्ति दोनों लोकों में सुख प्राप्त
करता है। श्राद्ध से प्रसन्न होकर पितर धर्म को चाहने वालों को धर्म, संतान
को चाहने वाले को संतान, कल्याण चाहने वाले को कल्याण जैसे इच्छानुसार
वरदान देते हैं।
कब से शुरू हो रहे पितृ पक्ष
===================
पितृ पक्ष २० सितंबर २०२१ से प्रारंभ
हो रहे हैं, और यह ०६ अक्टूबर को
अमावस्या तिथि के साथ समाप्त होंगे।
श्राद्ध की तिथियां
============
पहला श्राद्ध: पूर्णिमा श्राद्ध: २० सितंबर २०२१, सोमवार
दूसरे श्राद्ध: प्रतिपदा श्राद्ध: २१ सितंबर २०२१, मंगलवार
तीसरे श्राद्ध: द्वितीय श्राद्ध: २२ सितंबर २०२१, बुधवार
तृतीया श्राद्ध: २३ सितंबर २०२१, गुरूवार
चतुर्थी श्राद्ध: २४ सितंबर २०२१, शुक्रवार
महाभरणी श्राद्ध: २४ सितंबर २०२१, शुक्रवार
पंचमी श्राद्ध: २५ सितंबर २०२१, शनिवार
षष्ठी श्राद्ध: २७ सितंबर २०२१, सोमवार
सप्तमी श्राद्ध: २८ सितंबर २०२१, मंगलवार
अष्टमी श्राद्ध: २९ सितंबर २०२१, बुधवार
नवमी श्राद्ध (मातृनवमी): ३० सितंबर २०२१, गुरुवार
दशमी श्राद्ध: ०१ अक्टूबर २०२१,शुक्रवार
एकादशी श्राद्ध: ०२ अक्टूबर २०२१, शनिवार
द्वादशी श्राद्ध, संन्यासी, यति, वैष्णवजनों का श्राद्ध: ०३ अक्टूबर २०२१
त्रयोदशी श्राद्ध: ०४ अक्टूबर २०२१, रविवार
चतुर्दशी श्राद्ध: ०५ अक्टूबर २०२१, सोमवार
अमावस्या श्राद्ध, अज्ञात तिथि पितृ श्राद्ध, सर्वपितृ अमावस्या समापन- ०६ अक्टूबर २०२१, मंगलवार
पितृ पक्ष की पौराणिक कथा
====================
कहा
जाता है कि जब महाभारत के युद्ध में कर्ण का निधन हो गया था और उनकी आत्मा
स्वर्ग पहुंच गई, तो उन्हें रोजाना खाने की बजाय खाने के लिए सोना और गहने
दिए गए। इस बात से निराश होकर कर्ण की आत्मा ने इंद्र देव से इसका कारण
पूछा। तब इंद्र ने कर्ण को बताया कि आपने अपने पूरे जीवन में सोने के
आभूषणों को दूसरों को दान किया लेकिन कभी भी अपने पूर्वजों को नहीं दिया।
तब कर्ण ने उत्तर दिया कि वह अपने पूर्वजों के बारे में नहीं जानता है और
उसे सुनने के बाद, भगवान इंद्र ने उसे १५ दिनों की अवधि के लिए पृथ्वी पर
वापस जाने की अनुमति दी ताकि वह अपने पूर्वजों को भोजन दान कर सके। तब से
इसी १५ दिन की अवधि को पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है।