साहिब श्री गुरू रामदास जी महाराज का 487वाँ प्रकाश उत्सव मनाया गया
लखनऊ। सिखों के चौथे गुरु साहिब श्री गुरू रामदास जी महाराज का 487वाँ प्रकाश उत्सव श्री गुरू सिंह सभा, ऐतिहासिक गुरूद्वारा नाका हिन्डोला, लखनऊ में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया।
कमेटी के प्रवक्ता सतपाल सिंह ने बताया कि प्रातः 5.00 बजे सुखमनी साहिब के पाठ से दीवान आरम्भ हुआ जिसमें हजूरी रागी भाई राजिन्दर सिंह ने आसा की वार का अमृतमयी कीर्तन एवं शबद
"राम दास सरोवर नाते, सब उतरे पाप कमाते।।"
गायन किया।
रागी भाई हरतीरथ सिंह दिल्ली वालों ने अपनी मधुरवाणी मे शबद
"सा धरती भइी हरियावली जिथै मेरा सतिगुरु बैठा आइि।।"
“धनुं धनुं रामदास गुरु जिन सिरिआ तिनै सवारिआ।।“
शबद कीर्तन गायन कर समूह संगत को निहाल किया। मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी सुखदेव सिंह ने साहिब श्री गुरू रामदास जी महाराज के प्रकाश उत्सव पर व्याख्यान करते हुए कहा कि आप का जन्म 1534 को चूना मण्डी लाहौर (पाकिस्तान) में हुआ था। आपके पिता का नाम श्री हरदास जी और माता जी का नाम दया कौर जी था। छोटी उम्र मे आप के माता-पिता का निधन हो गया तो आपकी नानी जी आपको लेकर ‘‘बासरके‘‘ में आ गयी। यहाँ आकर आपने घुँघनियां (उबला हुआ चना) बेचना शुरु कर दिया। श्री गुरु अमरदास जी के दर्शन कर तन-मन से उनकी सेवा और गुरु की बाणी पढ़ते और सिमरन करते रहे।
गुरु अमरदास जी ने आपको ‘‘गुरु का चक्क‘‘ बसाने का कार्य सौंपा। बाबा बुड्ढा जी को साथ लेकर पहले सरोवर की खुदाई की और नींव रखी। दुख भंजन बेरी के पास एक सरोवर बनवाया जिसमें सच्चे मन से स्नान करने पर दुःख और रोग दूर होे जाते हैं। जो आज एक महान तीर्थस्थल (श्री अमृतसर) हरिमन्दिर साहिब के नाम से प्रसिद्ध है। जहाँ देश विदेश से श्रधालु आकर दर्शन करते हैं और सच्चे मन से पवित्र सरोवर में स्नान करके दुःख एवं कष्टों से मुक्ति पाते हैं।
दीवान की समाप्ति के उपरान्त लखनऊ गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिह बग्गा ने नगरवासियों को साहिब श्री गुरू रामदास जी के प्रकाश उत्सव की बधाई दी और तत्पश्चात् समूह संगत में गुरु का लंगर और मिष्ठान वितरित किया गया।