दिखाऊ काम भगवान को पसन्द नहीं


महाराज जी भक्तों को उपदेश दे रहे हैं कि- दिखाऊ काम भगवान को पसन्द नहीं दुनिया जनाने (को बताने) से भगवान के यहाँ लिखा नहीं जाता -न भगवान खुश होते हैं। ईश्वर ने हम सब जीव -जंतुओं को बनाया है, इस संसार को बनाया है, और वही हम को हमारे अच्छे और बुरे कर्मों का फल, बिना किसी भेदभाव के, देता है वो कुछ भी कर सकता है क्योंकि वो परमात्मा तो सर्वशक्तिशाली है वो बहुत दयालु भी है।
 
हममें से अधिकतर लोग परमात्मा को, अपने इष्ट के रूप में जानकर, तरह -तरह से उसकी भक्ति करते हैं घर -बाहर हमारी भक्ति से सम्बंधित हमारे कर्म, हमारे मन के अंदर के भाव इत्यादि- ऐसी अनेकों बातें वो परम आत्मा अपनी अनगिनत आँखों से देखता है क्योंकि वो तो सर्वव्यापी है- वो सब जगह है, सबमें है !! वेश - भूषा कोई चाहे कैसी भी बना ले, अनेकों धार्मिक ग्रन्थ चाहे पढ़े हुए हों परन्तु आध्यात्मिक दृष्टि से जिनकी कथनी और करनी में अंतर होता है। उनकी (ऐसी दिखावे की) पूजा आराधना का ईश्वर पर असर नहीं होता है। वैसे ही यदि कोई अच्छा-अच्छा प्रसाद -चढ़ावा चढ़ाता हो, चाहे जितना धार्मिक स्थलों पर जाता हो, परन्तु यदि ईश्वर के लिए उसके भाव सच्चे नहीं है तो ऐसे लोगों की दिखावे वाली भक्ति का उस सर्वव्यापी और सर्वज्ञ ईश्वर के ऊपर असर नहीं पड़ता।
 
महाराज जी हमें समझाते है की ये सब करने से ईश्वर कभी प्रसन्न नहीं होते है महाराज जी को भी ऐसी दिखावे वाली भक्ति पसंद ही नहीं है। जैसा की आप में से बहुतों को ज्ञात होगा महाराज जी एक जगह ऐसा भी कहा है की भक्ति ऐसी होने चाहिए की उसके बारे में केवल तुम जानो (स्वयं भक्त) और ईश्वर जाने या गुरु जाने- किसी और को इसमें लाना अनावश्यक है और महाराज जी की कृपा का पात्र बनने के लिए हमें उनके उपदेशों पर सामर्थ अनुसार चलने की ईमानदार कोशिश करनी होगी। फिर तो ईश्वर भी हमसे स्वतः प्रसन्न होंगे।
 
महाराज जी सबका भला करें!

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