कृषि एवं मौसम वैज्ञानिक- घाघ नीति ----------------------------------------------- 1- चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल। सावन साग न भादों दही, क्वारें दूध न कातिक मही। मगह न जारा पूष घना, माघे मिश्री फागुन चना। घाघ! कहते हैं, चैत (मार्च-अप्रेल) में गुड़, वैशाख (अप्रैल-मई) में तेल, जेठ (मई-जून) में यात्रा, आषाढ़ (जून-जौलाई) में बेल, सावन (जौलाई-अगस्त) में हरे साग, भादों (अगस्त-सितम्बर) में दही, क्वार (सितम्बर-अक्तूबर) में दूध, कार्तिक (अक्तूबर-नवम्बर) में मट्ठा, अगहन (नवम्बर-दिसम्बर) में जीरा, पूस (दिसम्बर-जनवरी) में धनियां, माघ (जनवरी-फरवरी) में मिश्री, फागुन (फरवरी-मार्च) में चने खाना हानिप्रद होता है। 2-जाको मारा चाहिए बिन मारे बिन घाव। वाको यही बताइये घुइया पूरी खाव।। घाघ! कहते हैं, यदि किसी से शत्रुता हो तो उसे अरबी की सब्जी व पूडी खाने की सलाह दो। इसके लगातार सेवन से उसे कब्ज की बीमारी हो जायेगी और वह शीघ्र ही मरने योग्य हो जायेगा। 3- पहिले जागै पहिले सौवे, जो वह सोचे वही होवै। घाघ! कहते हैं, रात्रि मे जल्दी सोने से और प्रातःकाल जल्दी उठने...
लखनऊ। आखिर 25 सालों का लंबा इंतजार खत्म हुआ। अब चंद घंटों बाद 25 नवंबर 2021 को बहुप्रतीक्षित नोएडा इंटरनेशनल ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट (जेवर एयरपोर्ट) की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रखेंगे। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट का निर्माण कराने वाले राज्य का गौरव हासिल कर लेगा। यह हवाई अड्डा भविष्य में यूपी का परिदृश्य बदल देगा। साथ ही भारत दुनिया के उन 4 बड़े देशों में शुमार होगा , जहां सबसे बड़े हवाई अड्डे है। यह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा उत्तरी भारत में लॉजिस्टिक्स का एक विशाल एवं वैश्विक हब बनेगा जो राज्य का आर्थिक कायाकल्प करने में अहम भूमिका निभाएगा। इस एयरपोर्ट की परिकल्पना करीब 25 साल पहले यूपी की तत्कालीन भाजपा सरकार में की गई । तब इसके निर्माण के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने प्रस्ताव तैयार करा कर केन्द्र सरकार को भेजा गया था। मगर दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से जेवर एयरपोर्ट (तब का नाम) की दूरी काफी कम होने की वजह से केंद्र सरकार की सहमत नहीं मिल सकी। बाद में पत्रावली दिल्ली और लखनऊ के बीच ही झूलती रही। इस बीच रा...
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा ने अपने अब तक के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में सिर्फ अव्यवस्था और अराजकता फैलाने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं किया है। उसका आचरण और प्रकृति दंगाई किस्म की है। नफरत का तनाबाना फैलाने के साथ समाज को बांटने और विभाजनकारी प्रवृत्तियों को बढ़ाने में ही भाजपा लगी रहती है। झूठ के लिए ही उसका मंथन, निरन्तर चलता रहता है। भाजपाई रामराज में भाजपा सरकार की डबल इंजन वाली गाड़ी का किसानों को ‘कुचलना‘ जारी है। उन्नाव में भूमि पर कब्जा हो जाने से परेशान किसान को इस सरकार में न्याय नहीं मिला तो लखनऊ में विधान भवन के सामने आत्मदाह को मजबूर हो गया। समाजवादी सरकार ने विधान भवन के सामने लोक भवन इसलिए बनवाया था ताकि वह न्याय मंदिर बने लेकिन मुख्यमंत्री ने वहां बैठकर सभी लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक मर्यादाओं को ध्वस्त करने का काम किया है। बागपत जिले में कर्ज में डूबे किसान द्वारा आत्महत्या की घटना कम हृदयविदारक नहीं। भाजपा के राज में किसानों की ऐसी हालत सरकार के सभी झूठों का पर्दाफाश कर रही है। आखिर कब तक यह सब सहेगा प्रदेश का क...