जनजातीयों को खोया हुआ हक दिलाने की प्रधानमंत्री को सोच को सलाम- अनुप्रिया पटेल
लखनऊ। भगवान बिरसा समाज के लिए जीवन जिए, उन्होंने अपनी संस्कृति और अपने देश के लिए जीवन का परित्याग कर दिया, इसलिए, आज भी वह हमारी आस्था में, हमारी भावना में हमारे भगवान के रूप में विद्मान है। जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर राष्ट्रनायक,स्वाधीनता संग्राम सेनानी एवं क्रांतिदूत भगवान बिरसा मुंडा की 146 वी जयंती पर भागीदारी भवन लखनऊ में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुये केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि भारत का आम नागरिक जनजातीय समुदाय से भावनात्मक रुप से जुड़े,ऐसा भाव हर ह्दय में उत्पन्न होना चाहिये।
केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री की उस सोच और भाव को प्रणाम करती हूं जिसमें उन्होंने जगंलो में रहने वाली जनजातीय समुदाय के आजादी पाने के लिये अंग्रेजों के साथ किये गये संघर्ष को 15 नवम्बर अर्थात भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला कर एक नयी पहचान दी। उन्होंने कहा कि इस दिवस के माध्यम से जनजातीय समुदाय को उनकी खोई हुई पहचान मिलेगी जिसके वो लंबे समय से हकदार थे। हमारे जनजातीय समुदाय ने जिस प्रकार भारत की जमीन, जंगल, सांस्कृति विरासत की रक्षा के लिये अपने प्राणों की आहूति दी है उसके बारे में आने वाली पीढी को अवश्य जानना चाहिये। केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि उतर प्रदेश के मिर्जापुर और सोनभद्र जिले में जहां पर बड़ी सख्या में गोंड पनिका, खरवार आदि जनजातीय समुदाय के लोग निवास करते हैं,.वहां जनजातीय संग्रहालय के निर्माण की जो घोषणा सरकार ने की है,उसके लिये धन्यवाद।
उन्होंने कहा कि जनजातीय वनवासियों के कल्याण के लिये शिक्षा ,स्वास्थय,आवास जैसी तमाम विषयों को ध्यान में रखकर भारत सरकार और उतर प्रदेश की सरकार तमाम योजनाओं का संचालन कर रही है. केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा से लेकर रानी दुर्गावती तक और न जाने कितने एसे नाम हैं जो हमे नहीं पता है।इन जनजातीय क्रांतिकारियों ने कैस अंग्रेजो से संघर्ष किया,निरंतर लड़े,जनजातीय समुदाय को संकलित किया और अंग्रेजो के आगे सर नहीं झुकाया,इसे लोग जाने इस उद्देश्य से प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम की संरचना की .उन्होंने कहा कि आज तमाम राज्यों की सरकारों ने 200 से अधिक एसी जनजातीय समुदाय में जन्म लेने वाले राष्ट नायकों स्वाधीनता संग्राम सेनानियों की सूची तैयार की है जो गुमनामी के अंधेरे में खो चुके थे। उन्होंने कहा कि जमजातीय समुदाय शिश्रा और स्वाथ्य की दृष्टि से पिछडा हुआ है,और आज आवश्यकता है कि हम उन्हें अपने प्रयासों से समाज की प्रथम पंक्ति में लाकर खड़ा करें।
उन्होंने कहा कि मिर्जापुर और सोनभद्र के अलावा कई जिलों में वनवासी समाज के लोग रहते हैं, सरकार उनके लिए प्रयास किए जा रहे हैं. सरकारें योजनाएं संचालित कर रही हैं. जनजाति समाज ने भारत की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दी है.हमने उनकी परम्पराओं की एक झलक देखी है, इन सारी बातों को संजोने की जरूरत है. कोई प्रदर्शनी लग जाती है, वहां हम आदिवासी उत्पादों को खरीदते हैं. हमको इनकी संस्कृति को जानना होगा.इस वर्ग ने देश के लिए संघर्ष किया है, वे स्वाधीनता समाज की ज्वाला को लेकर लड़े. अंग्रेजों के आगे सिर नहीं झुकाया. इन सारी बातों को केंद्र सरकार सामने ला रही है. इसलिए ऐसे आयोजनों का महत्व है. बिरसा मुंडा के मन में श्रद्धा भाव था. लगान माफी के लिए संघर्ष किया. उन्होंने सशस्त्र क्रांति की. उनकी केवल 25 वर्ष की आयु में अंग्रेजों ने हत्या कर दी थी।