कोरोना वायरस की नई संतान ओमीक्रोन से दहशत के साए में है संसार
अभी पूरा विश्व कोविड-19 की प्रथम लहर द्वितीय लहर को झेल ही रहा है एवं पूरी दुनिया ने तबाही देखी है बर्बादी देखी असंख्य मौत देखी हैं आर्थिक तंगी देखी है अपमान सहा है भुखमरी का शिकार पूरा संसार हुआ है कहीं कम तो कहीं अधिक आर्थिक तंगी से भी बर्बादी आई है परंतु आजकल पूरा विश्व कोरोना वायरस की एक नई संतान ओमीक्रोन के कारण दहशत के साए में जीने को मजबूर है एक समाचार के अनुसार कोरोना वायरस ओमीक्रोन से दहशत के माहौल में जीने को मजबूर है मिली जानकारी के अनुसार अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई देशों ने विदेशों से खासकर अफ्रीका से आने वाले यात्रियों पर प्रतिबंध तक लगा दिया है।
इस नए वैरियंच की पहचान सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में की गई थी। जिसके बाद यह ब्रिटेन, इजरायल, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में पहुंच चुका है खबर के अनुसार आस्ट्रेलिया सहित यह भयंकर बीमारी 57 देशों में अब तक दस्तक दे चुकी है दक्षिण अफ्रीका के सबसे आबादी वाली प्रांत गोतेंग में ओमीक्रोन वैरियंट ने तो तबाही मचाई हुई है। इस प्रांत के सभी अस्पताल ओमीक्रोन से संक्रमित मरीजों से भरे हुए हैं। ओमीक्रोन के बारे में जानकारी के अनुसार ओमीक्रोन को सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका के डॉक्टरों ने पहचाना है। इसके बावजूद अभी तक अस्पष्ट है कि यह वैरियंट किस देश में पैदा हुआ है। यह ठीक वैसे ही है, जैसा कोरोना की उत्पत्ति को लेकर चीन को जिम्मेदार ठहराया जाता है। दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने हाल के दिनों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को ओमीक्रोन वैरियंट को लेकर सतर्क किया है। अब ऑस्ट्रेलिया, इजरायल, नीदरलैंड सहित कई देशों में भी इसके मामले सामने आ रहे हैं। डब्ल्यूएचओ ने विगत दिनों इसे चिंताजनक स्वरूप बताया और ओमीक्रोन नाम दिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि यह बताने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं है कि कोरोना वायरस का ओमीक्रोन वैरियंट, डेल्टा वन की तुलना में अधिक खतरनाक है। डब्लूएचओ ने ओमीक्रोन पर वैक्सीन की प्रभावकारिता को लेकर भी ऐसी की शंका जताई है।
डब्लूएचओ ने यह भी कहा है कि अभी तक स्पष्ट नहीं है कि ओमीक्रोन स्ट्रेन से संक्रमित लोगों को खतरा ज्यादा है कि नहीं। ओमीक्रोन वैरियंट के खिलाफ कोविड वैक्सीन कितना प्रभावी? डब्लूएचओ ने कहा है कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि ओमीक्रोन वैरियंट के खिलाफ कोविड वैक्सीन कितनी प्रभावी है। प्रारंभिक आंकड़ों से पता चला है कि दक्षिण अफ्रीका में अस्पताल में भर्ती होने की दर बढ़ रही है। ऐसे में ओमीक्रोन वैरियंट लोगों की कुल संख्या में वृद्धि के कारण हो सकता है। डब्ल्यूएचओ तकनीकी विशेषज्ञों के एक समूह के साथ भी काम कर रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या नया स्ट्रेन मौजूदा टीकों और अन्य स्वच्छता उपायों की प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकता है। बताते चलें कि डेटा का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों के एक समूह को बुलाने के बाद, डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अन्य प्रकारों की तुलना में प्रारंभिक साक्ष्य इस स्वरूप से फिर से संक्रमण के बढ़ते जोखिम का सुझाव देते हैं। इसका मतलब है कि जो लोग संक्रमण से उबर चुके हैं, वे भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। समझा जाता है कि इस नये स्वरूप में कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में सबसे ज्यादा, करीब 30 बार परिवर्तन हुए हैं जिससे इसके आसानी से लोगों में फैलने की आशंका है। खबर है कि ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में कोविड-19 की जीनोम सीक्वेंसिंग की अगुवाई करने वाली शेरोन पीकॉक ने कहा कि अब तक के आंकड़ों से पता चलता है कि नये स्वरूप में परिवर्तन बढ़े हुए प्रसार के अनुरूप है, लेकिन "कई परिवर्तनों के असर" का अब भी पता नहीं चल पाया है।
वारविक विश्वविद्यालय के विषाणु विज्ञानी लॉरेंस यंग ने ओमीक्रोन को कोविड-19 का अब तक का सबसे अधिक परिवर्तित स्वरूप" बताया, जिसमें संभावित रूप से चिंताजनक परिवर्तन शामिल हैं जो पहले कभी भी एक ही वायरस में नहीं देखे गए थे। वैज्ञानिकों को पता चला है कि ओमीक्रोन, बीटा और डेल्टा स्वरूप सहित पिछले स्वरूपों से आनुवंशिक रूप से अलग है, लेकिन यह नहीं पता चल पाया कि क्या ये आनुवंशिक परिवर्तन इसे और अधिक संक्रामक या घातक बनाते हैं। अब तक, कोई संकेत नहीं मिले हैं कि स्वरूप अधिक गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। यह पता करने में संभवत हफ्तों लग सकते हैं कि क्या ओमीक्रोन अधिक संक्रामक है और क्या टीके इसके खिलाफ प्रभावी हैं या नहीं। इंपीरियल कॉलेज लंदन में प्रायोगिक चिकित्सा के प्रोफेसर पीटर ओपेनशॉ ने कहा कि यह काफी हद तक असंभव है कि वर्तमान टीके काम ना करें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि टीके कई अन्य स्वरूपों के खिलाफ प्रभावी हैं। पता यह भी चला है कि कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के साथ ही अपना रूप बदलता रहता है और इसके नए स्वरूप सामने आते हैं, जिनमें से कुछ काफी घातक होते हैं लेकिन कई बार वे खुद ही खत्म भी हो जाते हैं। वैज्ञानिक उन संभावित स्वरूपों पर नजर रखते हैं, जो अधिक संक्रामक या घातक हो सकते हैं। वैज्ञानिक यह भी पता लगाने की कोशिश करते हैं कि क्या नया स्वरूप जन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है या नहीं। यह बात तो सिद्ध हो चुकी है कि कोरोना वायरस की इस संतान ने यानी ओमी क्रोन ने पूरे विश्व को हिला कर रख दिया है हालांकि इससे अभी तक कहीं से भी किसी तबाही के संकेत नहीं है संकेत भी हैं तो उतने नहीं है कि तबाही मची हो परंतु लोग मानसिक रूप से अवश्य परेशान दिख रहे हैं और पूरी दुनिया दहशत के साए में जी रही है सोच रही है कि कोरोना वायरस की यह संतान बड़ी तादाद में दस्तक ना दे डाले कोरोना वायरस की पहली और दूसरी लहर से हुई तबाही को हम सभी ने देखा है परंतु शायद उससे सबक नहीं सीखा है आज भी देखने में आ रहा है कि हम शारीरिक दूरी का पालन नहीं कर रहे हैं मास्क नहीं लगा रहे हैं कोविड-19 गाइडलाइन का पालन पूरी तरह नहीं कर रहे हैं क्या यह लापरवाही ठीक है कतई भी ठीक नहीं है।
हम सभी को चाहिए कि हम सभी एक दूसरे को प्रेरित करते हुए शारीरिक दूरी का पालन करें भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से बचें भीड़ के कार्यक्रमों से अपने को अलग रखें मास्क अवश्य लगाएं थोड़ी सी भी यदि हमें बीमारी है तो उसका समुचित उपचार करें कोरोना वायरस की इस नई संतान से यानी ओमी क्रोम से बचने का सिर्फ और सिर्फ इलाज सावधानी है फिर कह रही हूं कि निवेदन कर रही हूं कि शारीरिक दूरी का पालन करें कोविड-19 की गाइडलाइन का शत-प्रतिशत पालन करें मास्क अवश्य लगाएं वास्तविकता तो यह है कि कोरोना वायरस की प्रथम एवं द्वितीय लहर जब भारत में आई तो उस समय आम जनता ने आम जनमानस ने इसे हल्के में लिया परंतु सरकार ने इसे गंभीरता पूर्वक लिया और इसे रोकने के लिए देशबंदी की गई लोग डाउन लगाए गए आम जनमानस में भय की स्थिति उत्पन्न हो गई लोग इधर से उधर भागने लगे उन्हें अपमान भी सहना पड़ा लॉकडाउन से कोई आर्थिक तंगी को भी झेलना पड़ा तो तबाही इस कदर हुई की अपने घर जाने की होड़ में अनेक लोग बेगुनाह लोग असामयिक मृत्यु का शिकार हो गए लोग भुखमरी का शिकार हो गए कारोबार छीन गए लोग बद से बदतर हो गए फिर भी सरकार से जो बन पड़ा किया और भारतीय परिवेश मैं लोगों ने साहस नहीं छोड़ा हिम्मत से काम लिया जिसका नतीजा यह निकला कि हम विश्व के अनेक देशों से बेहतर स्थिति में आ गए और कोरोना वायरस का डटकर मुकाबला भी किया अपना और अन्य लोगों का उत्साह वर्धन भी किया जिस समय भारतीय परिवेश में यह भयंकर बीमारी आई उस समय केवल और केवल कोरोना वायरस की ओर भारतीय परिवेश में सर्वाधिक देखा जाने लगा तथा जो नियमित बीमारियां और गंभीर बीमारियां लोगों में होती हैं उनका उपचार तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया परिणाम यह निकला कि कोविड-19 के कारण कम लोग मरे परंतु अन्य गंभीर बीमारियों के कारण अधिक मृत्यु हुई क्योंकि कोरोना के अलावा हर प्रकार का उपचार अन्य गंभीर बीमारियों का उपचार हमारे देश में बंद कर दिया गया था परिणाम स्वरूप गंभीर या अन्य नियमित एवं मौसमी बीमारियों का समय रहते उपचार ना मिलने के कारण मुरतीय अधिक होने लगी एवं लोग ब्लैक फंगस का भी शिकार हो गए।
आज फिर हम एक और नई बीमारी यानी कोरोना वायरस की नई संतान की दस्तक से भयभीत हैं परंतु हमें और अधिक उत्साह की आवश्यकता है हमें यह सोचना होगा कि यदि कहीं लॉकडाउन जैसी स्थिति की आवश्यकता है तो हमें इसके लिए लोगों को पहले तैयार करना होगा अचानक लोग डाउन लगाने से या देश बंदी करने से मसले का हल नहीं होगा क्योंकि ऐसे अचानक के निर्णय से लोगों में फिर पैनिक की स्थिति उत्पन्न होगी इसलिए जो भी करना होगा पूरी तैयारी एवं कारगर कदम उठाते हुए करना होगा तैयारियां के आ जाना बहुत जरूरी है पहली और दूसरी लहर में जो हमने सबक सीखा है उसे दोहराने की आवश्यकता नहीं है बल्कि सभी निर्णय सोच-समझकर लेने होंगे पहली और दूसरी लहर के दौरान सरकार ने तो बहुत कुछ किया परंतु आज आवश्यकता है हमें भी अपनी तैयारियां करनी होंगी यानी आम जनता को भी सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं रहना चाहिए सरकार के पास सीमित साधन होते हैं सरकार तो बहुत कुछ कर ही रही है परंतु आम जनमानस को भी सावधानी बरतने की आवश्यकता है कई देशों में इस नई बीमारी ने दस्तक दे डाली है अब हमें 2 गज की दूरी मास्क है जरूरी मूल मंत्र को अपने जीवन में उतारना होगा और अधिक से अधिक सावधानी बरतनी होगी जहां तक सरकारी तंत्र का प्रश्न है पूरी सरकार लगी है सभी राज्य लगे हैं प्रशासन भी लगा है परंतु हमें भी सावधान रहने की बहुत आवश्यकता है पिछली त्रासदी में हमारे ग्रामीण क्षेत्रों के आरएमपी अन्य डॉक्टरों ने बहुत ही बेहतरीन भूमिका का निर्वहन किया है जो सराहनीय है यदि कोरोना वायरस की इस नई संतान से बचाव के लिए सुरक्षा के लिए कुछ निर्णय हमारी सरकार को लेने पड़े तो यह बात ध्यान में रखनी होगी कि जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं होना चाहिए एवं कोरोना वायरस के इलाज के साथ-साथ अन्य गंभीर बीमारियों एवं मौसमी बीमारियों की उपचार की भी समुचित व्यवस्था करनी होगी ताकि लोगों में पैनिक की स्थिति उत्पन्न न हो सके क्योंकि पूर्व अनुभव यही कहते हैं कि यदि कोरोना वायरस के साथ-साथ अन्य गंभीर बीमारियों एवं अन्य मौसमी बीमारियों का इलाज भी समुचित ढंग से किया जाता तो शायद इतनी अधिक मौतें नहीं होती।
फिर भी भारतीय परिवेश में कोरोना वायरस का आम जनता ने और हमारी सरकारों ने बखूबी मुकाबला करते हुए एक प्रकार से जीत भी हासिल की है और आगे भी हम जीत हासिल करेंगे बस आज आवश्यकता तो यह है कि हम सभी को सिर्फ सावधानी और सावधानी बरतने की आवश्यकता है एवं कोरोना वायरस की इस नई संतान से मुकाबले के लिए हमें अपने को तैयार करना होगा जन जागरूकता अभियान चलाने होंगे लोगों को समझाना होगा की पैनिक ना लें बल्कि डटकर मुकाबला करें और जीत हासिल करें क्योंकि यहां यह पंक्तियां कारगर होती हैं कि सावधानी हटी दुर्घटना घटी आज यही स्थिति है यदि हम सावधानी बरतें गे तो दुर्घटना का शिकार नहीं होंगे इसलिए हम अपने भारतीय परिवेश में अपने पुराने अनुभवों को स्मरण करते हुए अपने को इस भयंकर बीमारी से बचाव करने के लिए सावधानी बरतनी होगी दूसरी लहर को ध्यान में रखते हुए और अधिक जन जागरूकता की आवश्यकता है इसका सुनियोजित अभियान चलाया जाना चाहिए ताकि लोग अधिक से अधिक जागरूक हो सके जहां तक भारतीय परिवेश में टीकाकरण का प्रश्न है सीनियर सिटीजन और उनसे नीचे के लोग बड़ी संख्या में टीकाकरण कराई ही चुके हैं 18 वर्ष से अधिक के बच्चे भी टीकाकरण कराने के प्रति जागरूक हैं और टीकाकरण करा भी रहे हैं परंतु यहां यह कहना है कि हमारे देश में यानी भारतीय परिवेश में अभी तक भी 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को टीकाकरण की व्यवस्था नहीं है इसके लिए भी हमारी सरकारों को कारगर योजना तैयार करके 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को टीकाकरण शुरू करना चाहिए ताकि हम और हमारा भारतीय परिवेश और अधिक सुरक्षित हो सके यह अति आवश्यक है कि जल्द से जल्द 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए टीकाकरण की सुविधा हेतु कार्य शुरू किया जाना नितांत आवश्यक है जहां तक कोरोना वायरस की रोकथाम का सवाल है वह तो होना ही चाहिए हो भी रहा है इसके लिए और अधिक जन जागरूकता की आवश्यकता है जन जागरण की आवश्यकता है परंतु हमें यह भी सोचना होगा कि कोरोना वायरस की रोकथाम हेतु जिस अस्पताल में इलाज हो रहा हो उसे और चुस्त-दुरुस्त किया जाना चाहिए एवं जो कैंसर पीड़ित हैं जिन्हें डायलिसिस की आवश्यकता है या अन्य कोई गंभीर बीमारियां हैं अन्य कोई और मौसमी बीमारियां हैं उन सभी का समुचित उपचार की अलग से व्यवस्था होना भी बेहद जरूरी है क्योंकि पूर्व में यह व्यवस्था नहीं थी इसलिए मृत्यु दर अधिक बढ़ी और अधिक हम महामारी का शिकार हुए।
अब कैंसर पेशेंट एवं डायलिसिस पेशेंट और अन्य गंभीर बीमारियों की व्यवस्था सुनियोजित ढंग से अलग से व्यवस्था करते हुए करना होगा ताकि अन्य गंभीर बीमारियों से भी बचाव सुनिश्चित हो सके इस और चिकित्सा सेवा में लगी संस्थाएं एवं अन्य संस्थान की विशेष रुप से सोचें भारतीय परिवेश में हमें अपनी प्रतिरोधक क्षमता इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए भारतीय चिकित्सा पद्धति यानी आयुष चिकित्सा को और अधिक मजबूत करना होगा एवं दवा कंपनियों यानी दवा कंपनियों को अपने उत्पादन शक्ति को और अधिक बढ़ाना होगा ताकि दवाओं की उपलब्धता बनी रहे और दवाओं के अभाव में किसी की मृत्यु ना हो भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुष चिकित्सा आदि के शोध का व्यापक प्रचार प्रसार कर जन जागरूकता लानी होगी ताकि समस्त भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुष चिकित्सा को बढ़ावा मिल सके और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता इम्यूनिटी पावर और अधिक बढ़ सके विशेष ध्यान यह देना होगा कि भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुष चिकित्सा एवं सरकारों और शिक्षा संस्थाओं को परस्पर समन्वय स्थापित कर दवाओं की गुणवत्ता को और अधिक मजबूत करते हुए दवाओं की उपलब्धता निरंतर स्थापित करनी होगी इसके लिए एकजुट होकर उच्च स्तर पर प्रचार प्रसार एवं जन जागरण की आवश्यकता है।
डॉक्टर हिमा बिंदु नायक
(स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक, लखनऊ)