कभी-कभी बहुत कोशिश से भी काम नहीं बनता


अध्यात्मिक जगत में एक शब्द है "कृपा"विज्ञान की भाषा में इसे परिभाषित करना संभव नहीं है कभी-कभी बहुत कोशिश से भी काम नहीं बनता तब आपने पाया होगा कि जो काम मेहनत से नहीं बना अब वह अनायास ही बनने लगा। उस प्रभु की कृपा तो सबके ही ऊपर होती है मगर उसे महसूस क़ोई कोई कर पाते हैं
 
अधिकतर वह "आश्चर्य" बनकर ही रह जाती है नफरत से कुछ नहीं मिलता, मेहनत से कुछ कुछ मिलता है और प्रभु की रहमत से सब कुछ मिल जाता है। आग्रह से कुछ मिल सकता है मगर अनुग्रह से सब कुछ मिलता है कभी प्रयास से तो कभी प्रसाद से कई बार बात बन जाती है इसलिए कर्म तो मन से करते रहें लेकिन प्रभु से प्रार्थना भी करते रहें अच्छा फल जरूर आयेगा।

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