पेंशन के भुगतान पर देरी पर पेंशनर व्याज पाने का हकदार
लखनऊ, प्रयागराज निवासी संतोष कुमार सिंह को दो महीने के
अंदर ब्याज की राशि न देने पर 14% ब्याज देने का आदेश न्यायमूर्ति उमेश
चन्द्र श्रीवास्तव और अभय रघुनाथ कार्वे की खंड-पीठ ने सुनाया, मामला यह था
कि याची संतोष कुमार सिंह 30 सितंबर, 2018 को 16 वर्ष की नौकरी के बाद
विकलांगता के आधार पर मेडिकल बोर्ड आउट कर दिया गया, लेकिन उसकी पेंशन 11
जुलाई, 2019 को जारी हुई।
उसके बाद उसने भारत सरकार रक्षा-मंत्रालय से यह
मांग की कि उसकी पेंशन का भुगतान देर से करने के कारण ब्याज उसे ब्याज का
नुकसान हुआ है जिसे भारत सरकार उसे दे लेकिन, उसकी इस मांग को यह कहते हुए
सरकार ने ख़ारिज कर दिया कि इतने बड़े विभाग में कार्यवाही पूरी करने में समय
लग जाता है इसलिए सरकार ब्याज नहीं देगी। मामला
सेना कोर्ट पहुंचा पीड़ित के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने याची का पक्ष
रखते हुए कहा कि इतनी बड़ी रकम को इतने लंबे समय तक बिना किसी अधिकार के
रोंकना और, पेंशन देने में इतना विलंब करना मौलिक अधिकार का हनन है, जब तक
कि यह कार्य किसी विधि के अधीन न किया गया हो।
विजय
पाण्डेय ने कहा कि पेशन किसी भी स्थिति में एक दिन भी विलंब से नहीं दी जा
सकती जबकि, वादी के मामले में पेंशन आठ महीने बाद जारी की गई है, न तो
उसके खिलाफ कोई इन्क्यारी चल रही थी और न ही उस पर किसी प्रकार का आरोप था
ऐसे में यह कहकर सरकार अपने दायित्व से नहीं बच सकती कि सरकारी तंत्र की
लंबी कार्यवाही की वजह से विलंब हुआ, इसलिए भारत सरकार कई लाख रुपए विलंब
से देने पर व्याज अदा करे। न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव और अभय
रघुनाथ कारवे की खण्ड-पीठ वादी द्वारा की गई प्रार्थना को स्वीकार करते हुए
भारत सरकार रक्षा-मंत्रालय को आदेशित किया कि 6% ब्याज दो महीने के अंदर
दी जाए यदि, ब्याज का भुगतान सरकार दो महीने के अंदर करने में असफल रहती है
तो उसे उसे 8% ब्याज और देना होगा।